वाशिंगटन: अमेरिका (America) ने अफ़ग़ानिस्तान (Afghanistan) और इराक (Iraq) में अगले साल 15 जनवरी तक अपने सैनिकों की संख्या 2500-2500 करने की घोषणा की है। कार्यवाहक अमेरिकी रक्षा सचिव क्रिस्टोफर सी. मिलर ने मंगलवार को इसकी घोषणा की। यह घोषणा अफ़ग़ानिस्तान और इराक में युद्ध को ‘‘एक सफल और जवाबदेह अंजाम तक पहुंचाने और अपने सैनिकों को देश वापस लाने” के अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के अभियान दल के वादे के अनुरूप है।
नवनिर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसदों ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए इसका विरोध किया है। कई रिपब्लिकन सांसदों ने भी इसका विरोध किया है। मिलर ने इस फैसले की घोषणा करते हुए कहा, ‘‘मैं इन दोनों देशों में बल के पुन: स्थापन के राष्ट्रपति ट्रंप के आदेश को जारी रखने की औपचारिक रूप से घोषणा कर रहे हैं। 15 जनवरी 2021 तक अफगानिस्तान में 2500 सैनिक होंगे। इराक में भी उस तारीख तक हमारे 2500 सैनिक होंगे।”
अफ़ग़ानिस्तान में अभी अमेरिका के 4500 से अधिक सैनिक हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ ब्रायन ने कहा कि बाकी सैनिक वहां अमेरिकी दूतावासों और अन्य सुविधाओं की सुरक्षा में तैनात रहेंगे। बाइडन और नवनिर्वाचित उप राष्ट्रपति कमला हैरिस के सत्ता हस्तांतरण दल ने इस पर तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की है। बहरहाल, डेमोक्रेटिक पार्टी के शीर्ष सांसदों ने तुरंत इस कदम की आलोचना की है।
सीनेटर चक शूमर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ट्रंप की नीति अस्थिर है और पूर्णत: आवेग में आकर लिए फैसले पर आधारित है…” सीनेटर टैमी डकवर्थ और मिच मैककोनेल ने भी इस कदम की आलोचना की। रिपब्लिकन सीनेटर मिट रॉमनी ने फैसले पर संदेह प्रकट करते हुए ट्रंप प्रशासन से इस ‘‘राजनीति से प्रेरित” कदम पर पुन:विचार करने और इसे वापस लेने की अपील की ताकि अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों को बढ़ने से रोका जा सके। रिपब्लिकन पार्टी के रॉय ब्लंट, जिम इनहोफ़ ने भी इस घोषणा पर कई सवाल उठाए हैं। (एजेंसी)