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    वाशिंगटन: भारत (India)  स्वच्छ ऊर्जा (Clean Energy) क्षमता को बढ़ाकर बिजली क्षेत्र (Electricity Sector) से होने वाले ग्रीनहाउस गैस (Greenhouse Gases) उत्सर्जन को 2018 के स्तर पर ला सकता है। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय (California University) की बर्केले लैब के अनुसंधानकर्ताओं के एक नए अध्ययन (Research) में कहा गया है कि भारत नवीकरणीय ऊर्जा के अपने लक्ष्यों से भी कहीं अधिक हासिल कर सकता है। यह अध्ययन ‘प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज’ में प्रकाशित हुआ।

    सोमवार को प्रकाशित एक बयान में कहा गया, ‘‘अगले दशक में स्वच्छ ऊर्जा क्षमता के अपने मौजूदा 450 गीगावॉट के लक्ष्य को 600 गीगावॉट तक बढ़ाकर भारत बिजली क्षेत्र से होने वाले ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 2018 के स्तर पर कायम कर सकता है और ऐसा वह आर्थिक विकास की जरूरतों को पूरा करने के लिए बिजली की आपूर्ति तकरीबन दोगुनी करते हुए कर सकता है।”

    भारत ने वायु एवं सौर ऊर्जा क्षमता को 2030 तक पांच गुना बढ़ाने का लख्य तय किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जीवाश्म ईंधन के बजाए अन्य विकल्पों से ऊर्जा पैदा करने के भारत के उद्देश्य का वैश्विक जलवायु परिवर्तन प्रयासों पर अहम असर पड़ेगा क्योंकि वह ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन करने के मामले में दुनिया में तीसरे नंबर पर है।

    अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि भारत को सौर और वायु ऊर्जा स्तर कम होने के दौरान बिजली की मांग को पूरा करने के लिए संसाधनों की जरूरत पड़ेगी।