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    बीजिंग. जहाँ एक तरफ विश्व अब भी कोरोना (Corona) से लड़ रहा है । वहीं इस खतरनाक संक्रमण ने अब दुनिया भर में एक साल से ज्यादा का समय भी पूरा कर लिया है। इतना ही नहीं इस भयंकर संक्रामक विषाणु से लाखों जानें जानें जा चुकी हैं। और अब ये दुनिया भी जानती है कि यह वायरस चीन (China) स्थित वुहान लैब से निकला है। बता दें कि पहला केस भी वुहान (Wuhan) में ही पाया गया था। लेकिन अब वहीं हैरान करने वाली बात यह भी है कि अब इस विवादित लैब को चीन ने एक बड़े अवार्ड के लिए नामित कर दिया है । जी हाँ खबरों के मुताबिक, 

    चीन ने वुहान की इस विवादित लैब को अब चाइनीज अकाडेमी ऑफ साइंसेज ने कोरोना पर बेहतरीन रिसर्च करने की दिशा में किए गए प्रयासों के लिए सबसे बड़े अवार्ड को देने के इरादे से उसे अपनी तरफ से नामित किया है।

    कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन की अकाडेमी ऑफ साइंसेज की तरफ से यह कहा गया है कि, इस लैब द्वारा किए गए महत्वपूर्व रिसर्च के चलते कोरोना वायरस की उत्पति, महामारी विज्ञान और इसके रोगजनक मैकनिज्म को समझने में उनके देश और विश्व को काफी मदद मिली है। 

    इनके  परिणामों के फलस्वरूप ही आज कोरोना वायरस के खिलाफ दवाओं और वैक्सीन को बनाने का रास्ता साफ हुआ है। साथ ही वुहान लैब ने महामारी के प्रसार को रोकने और बचाव के लिए महत्वपूर्ण वैज्ञानिक और तकनीकी समर्थन मुहैया कराया है। वहीं अकाडेमी के अनुसार, वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के रिसर्च ने कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम और कोरोना की काट यानी कोरोना वैक्सीन बनाने की दिशा में बहुत ही अभूतपूर्व औत अतुलनीय योगदान दिया है। 

    डॉ. फॉसी की थी थी आशंका, इसी लैब से निकला कोरोना :

    गौरतलब है की डॉ. फॉसी ने यही कहा था कि, वह पहले से ही कोरोना वायरस के प्रयोगशाला लीक होने की थ्योरी को लेकर आश्वस्त थे। उन्होंने यह भी माना था कि ये संभवतया एक इंजीनियर्ड वायरस भी हो सकता है जिसका प्रयोगशाला से आकस्मिक रूप से रिसाव हो गया। 

    हालांकि इस ‘लीक थ्योरी’ का समर्थन करने के बावजूद फॉसी का यह भी अब मानना है कि जानवरों के प्रसार के कारण इस महामारी की उत्पत्ति की अब और अधिक संभावना है। चाहे जो हो लेकिन चीन का इस प्रकार से वुहान लैब को किसी अवार्ड के नामित करना वाकई शर्मनाक है।