नई दिल्ली: सनातन धर्म में दीपावली के पर्व का बहुत महत्व है। यह त्योहार हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा त्योहार भी माना जाता है। इस त्योहार को देशभर में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। दिवाली के दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा कि जाती है। इस साल दिवाली 4 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन लोग पूजा कर अपने घर के लिए सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। दिवाली का पर्व केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के अलग-अलग देशों में भी मनाया जाता है। कई देशों में तो दिवाली मनाने का अंदाज भी बहुत अलग होता है।
भारत का पड़ोसी देश नेपाल, जहां हिंदुओं की बहुत जनसंख्या है। यहां दिवाली पर देवी देवताओं के आलावा जानवरों की भी पूजा की जाती है। यहां दिवाली के दिन लोग विशेष रूप से कुत्तों को पूजते हैं। इस दिन कुत्तों को माला पहनाकर और सजा-धजाकर उनकी पूजा की जाती है। इसके अलावा उनको पसंदीदा पकवान भी खिलाया जाता है।
क्या है मान्यता?
जब रावण का वध कर लंका पर विजयी होने के बाद राम अपनी 14 साल का वनवास काटकर अयोध्या वापस आ गए थे। जहां उनकी वापसी के उपलक्ष्य में दिवाली पर्व मनाया जाता है। वहीं नेपाल में भी यह जस्ना मनाया गया। नेपाल में दिवाली को तिहार कहां जाता है। इस दिन को कुकुर तिहार के रूप में मनाने की भी मान्यता है। बता दें कि कुकर यानी कुत्तों की पूजा का चलन ऐसे ही शुरू हुआ था।
दिवाली (तिहार) के दिन नेपाल में दीपोत्सव का आयोजन होता है और भारत की तरह ही घरों को रोशनी और दीयों से सजाया जाता है। बता दें कि अपने देश की तरह यहां पर भी दिवाली का पर्व 4-5 दिन तक चलता है। नेपाल में दिवाली के दूसरे दिन कुकुर तिहार का आयोजन किया जाता है।
इस मौके पर पर कुत्तों की बड़े सन्मान के साथ उनकी पूजा की जाती है और माला पहनाने के साथ गुलाल लगाकर उनका सम्मान किया जाता है। वहीं कुत्तों को पसंद आने वाले व्यंजन जैसे दूध, फल, ब्रेड, अंडा खिलाकर उन्हें दावत भी दी जाती है।
कुत्तों की पूजा क्यों होती है?
ऐसा मानना है की कुत्ते यम देव का मैसेंजर है। वहीं महाभारत काल में भी युधिष्ठिर के साथ कुत्ते ने स्वर्ग लोक की यात्रा की थी। नेपाल में ऐसी मान्यता है कि कुत्ता पूरे जीवनभर वफादारी के साथ इंसान की रक्षा करते हैं और मरने के बाद भी वह अपने मालिक का ख्याल रखते हैं। जिस वजह से कुकुर तिहार के दिन उनका सम्मान किया जाता है। बता दें कि नेपाल में दिवाली के मौके पर सिर्फ कुत्ते ही नहीं बल्कि गाय, बैल और कौओं की भी पूजा की जाती है।