UK government urged to hold China responsible for atrocities on Uighur Muslims
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    बीजिंग: चीन (China) ने मानवाधिकार (Human Rights) पर अमेरिका (America) एवं जापान (Japan) के संयुक्त बयान (Joint Statement) का विरोध करते हुए इसे उसकी विदेश नीति पर ‘दुर्भावनापूर्ण हमला’ और चीन के आंतरिक मामलों में गंभीर हस्तक्षेप करार दिया है। चीन के विदेश मंत्रालय में प्रवक्ता झाओ लिजियान ने बुधवार को कहा, ‘‘चीन बयान से बहुत असंतुष्ट है और इसका कड़ाई से विरोध करता है।” झाओ की टिप्पणी अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन (Antony Blinken) की चीन के विदेशमंत्री वांग यि और शीर्ष विदेशी नीति सलाहकार यांग जेइची के साथ अलास्का में होने वाली बैठक के एक दिन पहले आई है।

    अमेरिका-जापान ने अपने बयान में ताइवान को दी जाने वाली धमकी, बीजिंग द्वारा शिजिंयाग में मानवाधिकार उल्लंघन, दक्षिण चीन सागर की गतिविधियों और जापान नियंत्रित पूर्वी चीन सागर द्वीप की यथास्थिति को बदलने के लिए चीन की एकतरफा गतिविधियों पर चिंता व्यक्त की थी। झाओ ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘ बयान चीन की विदेश नीति पर ‘दुर्भावनापूर्ण’ हमला है, चीन के आंतरिक मामलों एवं उसके हितों पर गंभीर हमला है।”

    उन्होंने कहा, ‘‘चीन इस बयान से पूरी तरह से अंसतुष्ट है और इसका विरोध करता है। हमने अमेरिका और जापान के समक्ष अपना विरोध जताया है।” हालांकि, इस बयान से अलास्का में होने वाली वार्ता के खटाई में पड़ने के संकेत नहीं है। झाओ ने कहा कि चीन शिनजियांग और हांगकांग पर अपनी नीति को लेकर चर्चा के लिए तैयार है।

    उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन अमेरिका की बैठक से पहले जानबूझकर जनमत को भ्रमित करने एवं चीन पर दवाब बनाने की कोशिश सफल नहीं होगी।” झाओ ने कहा, ‘‘ हम अमेरिकी पक्ष से आह्वान करेंगे कि वह अंतरराष्ट्रीय संबंधों की सुचिता का पालन करे और चीन के मुख्य हितों को खतरे में डालने वाले कृत्यों में शामिल नहीं हो।”