Nipah test of people continues in Kerala, infection not confirmed in 30 people who came in contact with child who lost his life due to Nipah virus
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लंदन. वैज्ञानिकों का मानना है कि पहले लगाए गए अनुमान की तुलना में कम लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद कोविड-19 से लड़ने के लिए सामुदायिक प्रतिरक्षा विकसित हो जाने की संभावना है। ब्रिटेन के नॉटिंघम विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों समेत अनुसंधानकर्ताओं के एक दल के हालिया अध्ययन में यह बात सामने आई है। सामुदायिक प्रतिरक्षा तब विकसित होती है, जब बड़ी संख्या में लोगों में किसी बीमारी को लेकर प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है और इसके बाद बीमारी फैलनी बंद हो जाती है। वैज्ञानिकों ने इस बात को रेखांकित किया है कि सामुदायिक प्रतिरक्षा तब विकसित होती है, जब लोगों में किसी बीमारी से लड़ने के लिए प्राकृतिक रूप से या टीका लगाने से प्रतिरोधी क्षमता पैदा हो जाती है।

उन्होंने कहा कि जब बड़ी संख्या में लोग बीमारी के खिलाफ प्रतिरोधी क्षमता विकसित कर लेते है, तो बीमारी के फैलने की गति धीमी हो जाती है या रुक जाती है और संक्रमण फैलने की श्रृंखला टूट जाती है। ‘साइंस’ पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, गणित के एक मॉडल के आधार पर पाया गया कि पहले जताए गए 60 प्रतिशत के अनुमान के बजाए 43 प्रतिशत लोगों में प्रतिरोधी क्षमता विकसित हो जाने पर कोविड-19 से लड़ने के लिए सामुदायिक प्रतिरक्षा विकसित होने की संभावना है। वैज्ञानिकों ने कहा कि कोविड-19 के खिलाफ सामुदायिक प्रतिरक्षा के मामले में अक्सर कहा गया है कि महामारी को फैलने से रोकने के लिए करीब 60 प्रतिशत लोगों का टीकाकरण करना होगा। हालिया अध्ययन के अनुसार, 60 प्रतिशत के बजाए 43 प्रतिशत लोगों में प्रतिरोधी क्षमता विकसित होने के बाद सामुदायिक प्रतिरक्षा विकसित हो जाएगी।(एजेंसी)