
यरुशलम: इजराइल (Israel) का उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) देश को यहूदी राष्ट्र (Jewish Nation) के तौर पर मान्यता देने वाले कानून (Law) के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई जारी है। विपक्ष का आरोप है कि यह कानून अल्पसंख्यकों (Minorities) से भेदभाव करता है। आलोचकों का कहना है कि इस कानून से अरब (Arab) अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा और कम होगा।
अरब अल्संख्यक देश की आबादी का करीब 20 प्रतिशत हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह कानून इजराइल को यहूदी राष्ट्र के तौर पर स्थापित कर देगा। अरब अधिकार समूहों और अन्य नागरिक समाज संगठनों द्वारा दायर 15 याचिकाओं में देश के उच्चतम न्यायालय से कानून को निरस्त करने का अनुरोध किया गया है। इस कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 11 न्यायाधीशों का पैनल सुनवाई सुनवाई कर रहा है।
याचिकाकर्ताओं में से एक अरब अल्पसंख्यक अधिकार समूह के संस्थापक हसन जाबरीन ने कहा, ‘‘इजराइल के कानूनी इतिहास में यह पहली बार है जब उच्चतम न्यायालय इजराइल में फलस्तीनी अल्पसंख्यकों के वैधानिक दर्जे पर सुनवाई करेगा।” कानून को जुलाई 2018 में इजराइल की संसद नेसेट से मंजूरी मिली थी। यह कानून इजराइल को ‘‘यहूदी राष्ट्र” के तौर पर मान्यता देता है। कानून में अरबी भाषा का दर्जा आधिकारिक राजकीय भाषा से घटाकर इसे ‘‘विशेष दर्जा” दिया गया है।