तेहरान: ईरान (Iran) की 1979 की इस्लामिक क्रांति (Islamic Revolution) की 43वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में शुक्रवार को हजारों कार और मोटरबाइक सवारों ने परेड में हिस्सा लिया, हालांकि कोरोना वायरस (Corona Virus) महामारी की चिंताओं के कारण लगातार दूसरे वर्ष पैदल यात्री कम ही बाहर निकले। राजधानी तेहरान (Tehran) में, कई जगहों से जुलूस शुरू हुए, जो विभिन्न मार्गों से होते हुए ‘आज़ादी स्क्वायर’ पहुंचे।
यह वर्षगांठ ऐसे समय मनाई जा रही है जब विश्व शक्तियों के साथ ईरान के परमाणु समझौते को फिर से शुरू करने के लिए वियना में बातचीत जारी है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 2018 में समझौते से अपना हाथ खींच लिया था और फिर से प्रतिबंध लगा दिये थे, इसके उत्तर में ईरान धीरे-धीरे अपनी प्रतिबद्धताओं से मुकर गया। इस्लामिक क्रांति की वर्षगांठ मनाने के लिए जुटी भीड़ ईरानी ध्वज लहरा रही थी और नारे लगा रही थी। उनके हाथों में तख्तियां थीं, जिन पर लिखा था, ‘‘डेथ टू अमेरिका” और ‘डेथ टू इजरायल।” महामारी के कारण लगातार दूसरे वर्ष यह समारोह वाहनों के जुलूस तक ही सीमित रहा।
अधिकारियों ने कहा कि देश में कोरोना वायरस के नये स्वरूप ओमीक्रोन का व्यापक प्रसार हो चुका है और अस्पतालों को इसके लिए तैयार रहने को कहा गया है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 1,30,000 से अधिक लोगों की मौत के साथ ईरान, राष्ट्रीय स्तर पर मौत के मामले में मध्य एशिया में सबसे ऊपर है। ईरान का दावा है कि उसकी 18 साल से अधिक उम्र की करीब 80 फीसदी आबादी को कोविड रोधी टीके की दोनों खुराक लग चुकी हैं और 27 फीसदी लोगों को तीसरी ‘ऐहतियाती खुराक’ लग चुकी है।