नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर (Foreign Minister S Jaishankar) ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी को कहा कि, दोनों पक्षों को पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) (LAC) से संबंधित लंबित मुद्दों का जल्द समाधान निकालने के लिए काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि, चीन (China) को भारत (India) के साथ अपने संबंधों को किसी तीसरे देश के नजरिये से नहीं देखना चाहिए।
दुशान्बे में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन से इतर एक बैठक में बृहस्पतिवार को दोनों विदेश मंत्रियों ने क्षेत्र में वर्तमान हालात पर विचारों का आदान-प्रदान किया और इस बात पर सहमति जताई कि दोनों पक्षों के सैन्य एवं राजनयिक अधिकारियों को जल्द से जल्द फिर मुलाकात करनी चाहिए और लंबित मुद्दों के समाधान पर चर्चा करनी चाहिए।
Met Chinese FM Wang Yi on the sidelines of SCO Summit in Dushanbe.
Discussed disengagement in our border areas. Underlined that progress in this regard is essential for restoration of peace and tranquillity, which is the basis for development of bilateral ties. pic.twitter.com/wmO0sxeWwL
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) September 16, 2021
विदेश मंत्रालय (एमईए) के अनुसार, जयशंकर ने वांग यी से कहा कि भारत ने ‘‘सभ्यताओं के टकराव के सिद्धांत” का कभी भी समर्थन नहीं किया है। उन्होंने कहा कि भारत-चीन संबंधों के जरिए जो मिसाल कायम होगी, एशियाई एकजुटता उसी पर निर्भर करेगी। जयशंकर ने कहा कि दोनों पक्षों को ‘‘परस्पर सम्मान” आधारित संबंध स्थापित करना होगा और उसके लिए यह आवश्यक है कि चीन, भारत के साथ अपने संबंधों को, तीसरे देशों के साथ अपने संबंधों के दृष्टिकोण से देखने से बचें।
उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘‘यह भी आवश्यक है कि भारत के साथ अपने संबंधों को चीन किसी तीसरे देश के नजरिये से नहीं देखे।” जयशंकर ने अपने वक्तव्य में ‘‘एक तीसरे देश” का जिक्र किया, वहीं विदेश मंत्रालय की ओर से जारी वक्तव्य में ‘‘तीसरे देशों’ शब्द का इस्तेमाल किया गया है। (एजेंसी)