File Phtoto
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    10 सितंबर को हर साल विश्व आत्महत्या रोकथाम (International Association for Suicide Prevention (IASP) दिवस मनाया जाता है। आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों को जागरूक करने का है। यह आत्महत्या रोकने के लिए मनाया जाता है। हर साल आत्महत्या रोकथाम करने लिए थीम रखा जाता है। आत्महत्या रोकथाम के लिए लोगों को इसके  जागरूक करना इसका उद्देश्य है। इसकी शुरुआत 2003 से की गई थी। हर साल कई लोग आत्महत्या करते है। हर साल आत्महत्या करने वाले लोगों में वृद्धि हो रही है। 

    आत्महत्या में 2016 से विद्धि 

    2016 में आत्महत्या करने वाले लोगों की संख्या  230,314 थी। हैरानी की बात तो यह है कि आत्महत्या करने वाले लोगों में 15-19 वर्ष और 19-35 वर्ष के बीच के लोग काफी ज्यादा थे। हर साल दुनिया भर में करीब आठ लाख से ज्यादा लोग आत्महत्या करते है।

    इसमें भारत की  1,35,000(कुल का 17%) आबादी आती है। आत्महत्या में युवा वर्ग ज्यादा शामिल है। आत्महत्या करने के दो कारण हो सकते है। 1 मानसिक विकार 2 दूसरा किसानों का कर्ज  किसानों के कर्ज में डूबने की वजह से आत्महत्या करने की दर में वृद्धि आई है। किसान बैंक से लिए हुए लोन न चूका पाने की वजह से आत्महत्या कर रहे है। 

    आत्महत्या का डेटा

    विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार हर 4 मिनट में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है। इस प्रकार हर वर्ष 8,00,000 से ज्यादा लोग आत्महत्या करते है। आत्महत्या करने की कोशिश करने वालों की संख्या इससे ज्यादा है। आत्महत्या करने में गरीब परिवार, मध्यम परिवार और किसान वर्ग ज्यादा है।

    WHO की रिपोर्ट के आधार पर 79% मृत्यु आत्महत्या के कारण होती है। आत्महत्या करने वाले में 81% लोग कुछ न कुछ संकेत दे देते है। जिसे लोगों को समझना चाहिए। उनके संकेत कुछ इस तरह के हो सकते है। जैसे-

    – जीवन के आगे के रास्ते नहीं दिख रहे है।

    – मादक पदार्थ का अधिक सेवन करना।मानसिक तनाव

    – लोग कैसे आत्महत्या कर लेते है?

    – क्या मेरे जाने के बाद लोग मुझे याद करेंगे।

    – दो-चार या एक माह से घर के लोगों से अलग रहना।

    – मोबाइल, सोशल मीडिया, तथा लोगों के सम्पर्क से दूर रहना।

    – मुझे जीने की इच्छा नहीं है।

    – क्या मेरे जाने के बाद जी लेंगे।

    आत्महत्या रोकथाम के लिए सभी व्यक्ति को जागरूक करना होगा। उनकी बातें समस्या सुननी होगी। मानसिक तनाव को कम करना होगा। उसका इलाज करना चाहिए। लोगों में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाकर आत्महत्या जैसे मामलों को काफी हद तक रोका जा सकता है। मानसिक तनाव होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाये। उनसे सलाह ले।