कीव. अंतरराष्ट्रीय कानूनों को दरकिनार करते हुए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को यूक्रेन के हिस्सों को रूस में शामिल करने संबंधी संधियों पर हस्ताक्षर किए और कहा कि नए शामिल किए गए इलाकों की “सभी उपलब्ध साधनों” का इस्तेमाल कर रक्षा की जाएगी। उन्होंने यूक्रेन से शांति वार्ता के लिए बैठने का आग्रह किया लेकिन तत्काल ही आगाह किया कि रूस में शामिल किए गए यूक्रेनी इलाकों को वापस किए जाने पर वह चर्चा नहीं करेंगे। इसके साथ ही सात महीनों से दोनों देशों के बीच चल रही जंग के तेज होने की आशंका बढ़ गई है। कीव और पश्चिमी देशों ने यूक्रेन में जमीन पर रूसी कब्जे को खारिज किया है।
यूरोपीय संघ के 27 सदस्य राष्ट्रों ने कहा कि वे रूस द्वारा आयोजित अवैध जनमत संग्रह को कभी मान्यता नहीं देंगे जो रूस ने “यूक्रेन की स्वतंत्रता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के और उल्लंघन के बहाने के रूप में आयोजित किया था।”
"This is the will of millions of people," the Russian President said in a speech before hundreds of dignitaries in the St George's Hall of the Kremlin: Reuters
— ANI (@ANI) September 30, 2022
यूक्रेन के कब्जे वाले हिस्सों के विलय की घोषणा के लिए भव्य सेंट जॉर्ज हॉल में क्रेमलिन द्वारा आयोजित समारोह में पुतिन ने पश्चिम पर शत्रुता को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। उनके मुताबिक पश्चिमी देशों की रूस को “उपनिवेश” और “गुलामों की भीड़” में बदलने की योजना है। पुतिन के इस कड़े रुख से तनाव और बढ़ गया है। शीत युद्ध के बाद से इस स्तर पर तनाव नहीं देखा गया था। इस युद्ध में अब तक हजारों लोगों की जान जा चुकी है।
पुतिन के इस नवीनतम कदम पर यूरोपीय संघ ने तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए संयुक्त बयान जारी कर चार क्षेत्रों- डोनेत्स्क,लुहांस्क, खेरसन और जापोरिज्जिया- के “अवैध विलय” को खारिज करते हुए उसकी निंदा की। वहीं यूक्रेन ने जंग जारी रखने का संकल्प व्यक्त किया है।
राष्ट्रपति कार्यालय के प्रमुख एंड्री येरमक ने कहा, “हम उनकी बातों पर ध्यान नहीं देते जिनका वक्त खत्म हो चुका है। सेना काम कर रही है, यूक्रेन एकजुट है- सिर्फ आगे बढ़ रहा है।”
रूस द्वारा यूक्रेन के कब्जे वाले क्षेत्रों को अपने में मिलाने के लिये किए गए “जनमत संग्रह” के तीन दिनों बाद इस समारोह का आयोजन हो रहा है। यूक्रेन और पश्चिमी देशों ने इसे सीधे-सीधे जमीन कब्जाना करार देते हुए कहा कि यह बंदूक के बल पर अंजाम दी गई झूठी कवायद है। पश्चिमी देशों को निशाने पर लेते हुए पुतिन ने अपने भाषण में यूक्रेन से वार्ता का अनुरोध किया और कहा कि उसे क्रेमलिन द्वारा कराए गए मतदान (जनमत संग्रह) के प्रति “सम्मान” व्यक्त करना चाहिए।
उन्होंने हालांकि बातचीत की अपनी पेशकश को लेकर तत्काल कड़ी चेतावनी के साथ यह स्पष्ट किया कि चार क्षेत्रों से नियंत्रण छोड़ने को लेकर बात नहीं होगी। पुतिन ने अपने आक्रमण को रूस की महान शक्ति की स्थिति को पुनः प्राप्त करने और कमजोर हो रहे पश्चिमी वर्चस्व का मुकाबला करने के लिए एक ऐतिहासिक मिशन का हिस्सा करार दिया।
उन्होंने कहा, “इतिहास ने हमें अपने लोगों के लिए, भव्य ऐतिहासिक रूस के लिए, आने वाली पीढ़ियों के भविष्य के वास्ते जंग के मैदान में बुलाया है।” पूर्वी यूक्रेन के अलगाववादी दोनेत्स्क और लुहांस्क क्षेत्र को 2014 में आजादी की घोषणा के बाद से ही रूस का समर्थन मिला था। यूक्रेन के क्रीमिया प्रायद्वीप के विलय के कुछ हफ्तों बाद ही रूस ने यह कदम उठाया था। यूक्रेन में 24 फरवरी को रूसी सैनिकों के हमले के कुछ दिनों बाद ही दक्षिणी खेरसान क्षेत्र और पड़ोसी जापोरिज्जिया के कुछ क्षेत्रों पर रूस ने कब्जा कर लिया था।
क्रेमलिन-नियंत्रित रूसी संसद के दोनों सदनों की अगले सप्ताह बैठक होगी जिसमें इन क्षेत्रों को रूस में शामिल किए जाने के लिए संधियों पर मुहर लगाई जाएगी और उन्हें उनकी मंजूरी के लिए पुतिन के पास भेजा जाएगा। पुतिन और उनके सिपहसालारों ने यूक्रेन को स्पष्ट रूप से चेतावनी दी कि वह इन क्षेत्रों को पुन: कब्जाने की कोई आक्रामक कोशिश न करे और कहा कि रूस ऐसे किसी भी कृत्य को अपनी क्षेत्रीय संप्रभुता के खिलाफ हमला मानेगा तथा जवाबी कार्रवाई के लिये “सभी उपलब्ध संसाधनों” (रूस के परमाणु हथियारों के संदर्भ में) का उपयोग करने से हिचकेगा नहीं। (एजेंसी)