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    वाशिंगटन: दुनियाभर में कैंसर (Cancer) के मरीजों की कोई कमी नहीं है। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसका कोई सटीक इलाज या दवा (Cancer Treatment And Medicine) आज तक नहीं मिल पाया है। विज्ञान आज भी कैंसर मरीजों को ठीक करने का इलाज ढूंढ रहे हैं। इस बीमारी की वजह से दुनियाभर में हर साल लाखों जान जाती है। लेकिन, इसी कड़ी में एक खुशखबरी आई है, जहां रेक्टल कैंसर (Rectal Cancer) से जूझ रहे मरीजों को अब ठीक किया जा सकता है। 

    कैंसर मरीजों के साथ हुआ चत्मकार 

    दरअसल, रेक्टल कैंसर के एक समूह के साथ चमत्कार हुआ है। प्रयोग के तौर एक इलाज में इन मरीजों का कैंसर पूरी तरह ठीक हो गया। इस छोटे से क्लिनिकल ट्रायल में 18 मरीजों का समूह बनाया गया था, जिन्हें छह महीनों के लिए डोस्टरलिमैब (Dostarlimab) नामक एक दवा दी गई थी। छह महीने के बाद इन सभी लोगों का कैंसर (Rectal Cancer Medicine) पूरी तरह ठीक हो गया। जिसके बाद इस दवा को 100 फीसदी कारगर माना जा रहा है। 

    इतिहास में हुआ पहली बार, गायब हुआ कैंसर  

    न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि, डोस्टरलिमैब एक दवा है कि जो लैब में बनाए गए अणुओं से बनी है। यह दवा शरीर में सब्स्टीट्यूट एंटीबॉडीज की तरह काम करती है। इसी दवा को रेक्टल कैंसर के सभी मरीजों को दी गई थी। जिसके बाद इस दवा का असर ये हुआ कि, छह महीने बाद सभी मरीज कैंसर मुक्त हो गए। इन मरीजों का कैंसर एंडोस्कोपी, जैसे फिजिकल एग्जाम से डिटेक्ट नहीं किया जा सका। न्यूयॉर्क के मेमोरियल स्लोन केटरिंग कैंसर सेंटर के डॉ लुइस ए डियाज जे के अनुसार, ऐसा ‘कैंसर के इतिहास में पहली बार हुआ है।’

    नतीजों से मेडिकल जगत भी हैरान

    रिपोर्ट के अनुसार, क्लिनिकल ट्रायल में शामिल मरीज इससे पहले कैंसर से मुक्त होने के लिए लंबे और तकलीफदेह इलाजों से गुजर रहे थे। जैसे कीमोथेरेपी, रेडिएशन और सर्जरी। यह इलाज के तरीके यूरिनरी और सेक्सुअल रोग के कारण भी बन सकते है। लेकिन, समूह के 18 मरीज यह सोचकर ट्रायल में शामिल हुए थे कि ये उनके इलाज का अगला स्टेप है। जिसके बाद उन्हें जानकर काफी हैरानी हुई कि अब उन्हें आगे इलाज की कोई जरूरत नहीं है। क्लिनिकल ट्रायल के नतीजों ने मेडिकल जगत भी हैरान है। 

    मरीजों पर नहीं दिखे साइड इफेक्ट

    मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में कोलोरेक्टल कैंसर विशेषज्ञ डॉ। एलन पी। वेनुक ने बताया कि, समूह के 18 मरीज अब पूरी तरह ठीक हो गए हैं, जो ‘अभूतपूर्व’ है। इलाज के दौरान इन सभी मरीज पर ट्रायल ड्रग के साइड इफेक्ट नहीं देखे गए। इसलिए यह रिसर्च को विश्वस्तरीय है। साथ ही यह इलाज प्रभावशाली भी है। वहीं रोगियों को पता चला कि उनका कैंसर पूरी तरह से ठीक हो गया है, तब उनकी आंखों में ख़ुशी के आंसू भी थे। 

    बड़े पैमाने पर टेस्ट की जरूरत 

    ट्रायल के दौरान सभी मरीज कैंसर के एकसमान स्टेज पर थे। जिन्हें छह महीने तक हर तीसरे हफ्ते दवा दी गई। मरीजों के रेक्टम में कैंसर पूरी तर्ज फैल गया था, लेकिन इसने दूसरे अंगों को प्रभावित नहीं किया था। दवा का रिव्यू करने वाले कैंसर शोधकर्ताओं के अनुसार, यह इलाज आशाजनक तो लग रहा है, लेकिन इसके बड़े पैमाने पर ट्रायल की जरूरत है। ताकि यह कन्फर्म किया जा सके कि दवा बाकी मरीजों पर भी इसी तरह असरदार है या नहीं और यह कैंसर को ठीक कर सकता है या नहीं। हालांकि, इस प्रयोग से लोगों के और चिकित्सा क्षेत्र में आशा की लहर दौड़ गई है।   

    क्या है Dostarlimab?

    Dostarlimab एक प्रायोगिक दवा है। यह स्थानापन्न एंटीबॉडी के रूप में कार्य करता है। इसे जेम्परली ब्रांड नाम से बेचा जाता है। इस दवा को साल 2021 में संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ में चिकित्सा उपयोग के लिए अप्रूव किया गया था। इस दवा के के दुष्प्रभावों में उल्टी, जोड़ों का दर्द, खुजली, दाने, बुखार आदि शामिल हैं। हालांकि, कैंसर से ठीक हुए मरीजों में ऐसे कोई भी लक्षण देखने नहीं मिले। 

    रेक्टल कैंसर क्या है?

    रेक्टल कैंसर ऐसा कैंसर होता है, जिसमें मलाशय के टिश्यू में घातक कैंसर की सेल्स बनती हैं। मलाशय के कैंसर के प्रमुख लक्षणों में से एक मल में खून आना भी है। इसके अलावा गुदाक्षेत्र में खुजली होना, लाल होना आदि भी इसके लक्षण होते हैं। मलाशय शरीर के विस्तृत पाचन तंत्र का एक हिस्सा है। रिपोर्ट्स की मानें तो रेक्टल कैंसर के लिए कुल पांच साल की जीवित रहने की दर 63 प्रतिशत है। वहीं जिनक कैंसर मलाशय से नहीं फैला है, उनके पांच साल की जीवित रहने की दर 91 प्रतिशत है।