नई दिल्ली: यूक्रेन (Ukraine) और रूस (Russia) में लगातार तनाव बढ़ता जा रहा है। खबर है कि, रूस ने यूक्रेनके किव में में अपनी एम्बेसी (Russian Embassy) लगभग खाली कर दी है। जिससे साफ है कि, रूस फिलहाल डिप्लोमैटिक चैनलों के ज़रिए भी यूक्रेन के मुद्दे को फिलहाल सुलझाने के मूड (Russia-Ukraine Tensions) में नहीं है। उधर यूक्रेन भी पीछे कदम हटाने को तैयार नहीं है। यूक्रेन को कुछ देशों से लगातार समर्थन मिल रहा है जिससे रूस और यूक्रेन में जारी विवाद गहराता नज़र आ रहा है। जानकार मानते हैं कि, अगर समय पर हालात नहीं सुधरते तो इसका परिणाम बेहद गंभीर हो सकता है और बात युद्ध तक भी पहुंच सकती है। लेकिन बताया जा रहा है कि, वॉर एक अंतिम फैसला होगा जिससे न तो रूस और ना ही यूक्रेन जल्दबाज़ी में लेगा।
कनाडा, ब्रिटेन से यूक्रेन को मदद, पुतिन यूएस प्रेसिडेंट से कर रहे हैं बातचीत
अपने सख्त और बड़े फैसलों लेने के लिए जाने जाने वाले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस मामले में लगातार नज़र बनाए हुए हैं। इंटरनेशनल मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पुतिन ने यूक्रेन के मुद्दे पर पिछले दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से बातचीत कर रहे हैं। लेकिन वहीं इसी के साथ साथ किसी भी तरह की परिस्तितियों से निपटने के लिए भी अपने डिफेंस रिसोर्सिस को तैयार भी कर रहे हैं। दूसरी ओर कनाडा और ब्रिटेन यूक्रेन की मदद के लिए तैयार नज़र आ रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, कनाडा ने रूस के मुकाबले के लिए यूक्रेन में अपने सैनिक भेजे हैं। इसके अलावां ब्रिटेन ने भी यूक्रेन को रूसी टैंकों का सामना करने के लिए एंटी टैंक वेपन्स दी हैं। तो वहीं रूस के करीबी और पड़ोसी देश बेलारूस ने कहा है कि, बेलारूस की सेना रूस के साथ मिलिट्री एक्सरसाइज करेगी। इसके बाद जानकारों का मानना है कि, रूस की सेना बेलारूस से यूक्रेन पर हमला कर सकती है।
युद्धाभ्यास का मकसद रूस और बेलारूस के गठबंधन द्वारा बाहरी खतरों से निपटना: बेलारूस
रूस के उप रक्षा मंत्री अलेक्जेंडर फोमिन ने कहा कि युद्धाभ्यास का मकसद रूस और बेलारूस के गठबंधन द्वारा बाहरी खतरों से निपटना है। दोनों देशों के बीच घनिष्ठ राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य संबंध हैं। उन्होंने कहा कि, अभ्यास के लिए कितने सैनिकों और हथियारों को फिर से तैनात किया जा रहा है। हालांकि, यूक्रेन के अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि रूस अपने सहयोगी बेलारूस के क्षेत्र सहित विभिन्न दिशाओं से हमला कर सकता है। इस तैनाती से यूक्रेन के पास टैंकों और अन्य भारी हथियारों के साथ मौजूद 1,00,000 सैनिकों की ताकत और बढ़ जाएगी। वहीं पश्चिमी देशों को डर है कि यह हमले से पहले की तैयारी हो सकती है।
सायबर हमले बने सिर दर्द
रूस से तनातनी के बीच हाल ही में यूक्रेन में बड़ा साइबर अटैक हुआ था। इस साइबर हमले में यूक्रेन की सरकारी वेबसाइट्स को भी टारगेट किया गया था। बता दें कि, इस साइबर हमले के बाद यूक्रेन के कई सरकारी वेबसाइट बंद हो गई थीं और कई अहम काम रुक गए थे। इस हमले के बाद यूक्रेन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ओलेग निकोलेंको ने एक फेसबुक पोस्ट के ज़रिए बताया था कि, बड़े हैकिंग हमले की वजह से विदेश मंत्रालय और कई अन्य सरकारी एजेंसियों की वेबसाइट अस्थायी रूप से बंद हैं। हमारे विशेषज्ञ आईटी प्रणाली के कार्य को बहाल करने के लिए काम कर रहे हैं। लोकल मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हैकिंग होने के बाद देश की कैबिनेट, सात मंत्रियों, कोषागार, राष्ट्रीय आपदा सेवा और राज्य सेवा की वेबसाइट हैकिंग की वजह से उपलब्ध नहीं थीं।
आखिर क्या है पुतिन का गेम प्लान?
रूस ने यूक्रेन पर हमला करने की मंशा से इनकार किया है, लेकिन उसने पश्चिमी देशों से गारंटी की मांग की है कि नाटो यूक्रेन या अन्य पूर्व सोवियत देशों में विस्तार नहीं करेगा या अपने सैनिक और हथियार वहां नहीं रखेगा। वाशिंगटन और उसके सहयोगियों ने जिनेवा में पिछले सप्ताह रूस-अमेरिका वार्ता और ब्रसेल्स में नाटो-रूस से संबंधित बैठक के दौरान मास्को की मांगों को दृढ़ता से खारिज कर दिया था।
पुतिन के लिए इज्जाजत की बात
पश्चिमी देशों में से किसी भी देश के सामने अपने आपको कम नहीं मानने वाले रूस के लिए यह उसकी इज़्ज़त की बात है। पुतिन नहीं चाहेंगे कि वे रूस की इमेज दुनिया के सामने कमज़ोर नज़ार आए। जानकार मानते हैं कि, पुतिन ऐसे में दुनिया को दिखाना चाहेंगे कि रूस की सेना अब भी उतनी ही ताकतवर है जितनी सोवियत यूनियन के समय हुआ करती थी। यूक्रेन और उसे मिलने वाली सैन्य और हथियारों की मदद के सामने रूस खुद को कमज़ोर नहीं समझने देगा और इसके लिए वह अपने सारे संसाधनऔर सभी मुख्य हथियार प्रयोग करेगा। यही वजह है कि, रूस हर कोशिश करेगा कि, पश्चिमी देश, खासकर अमेरिका इस लड़ाई से बाहर रहे।