बीजिंग. चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से फोन पर बात की और दोनों नेताओं ने तनावपूर्ण स्थिति को यथासंभव जल्द से जल्द शांत करने और दोनों देशों के बीच हुए समझौते के अनुरूप सीमावर्ती क्षेत्र में अमन-चैन बनाये रखने पर सहमति जताई। यहां एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गयी। पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में सोमवार रात को चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़पों में 20 भारतीय जवानों के मारे जाने के बाद दोनों मंत्रियों की टेलीफोन पर बातचीत हुई है। इसे पिछले पांच दशक में दोनों देशों के बीच सबसे बड़ी सैन्य झड़प बताया जा रहा है। नयी दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि टेलीफोन बातचीत में जयशंकर ने वांग से हिंसक झड़पों पर कड़े से कड़े शब्दों में भारत का विरोध जाहिर किया और कहा कि अभूतपूर्व घटनाक्रम के द्विपक्षीय संबंधों पर गंभीर प्रभाव होंगे।
Indian Foreign Minister talks tough with his Chinese counterpart on Galwan skirmish
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— ANI Digital (@ani_digital) June 17, 2020
उन्होंने चीनी पक्ष से उसकी गतिविधियों का पुनर्मूल्यांकन कर सुधारात्मक कदम उठाने को कहा। जयशंकर ने वांग से कहा, ‘‘चीनी पक्ष ने पूर्व नियोजित और योजनाबद्ध तरीके से कार्रवाई की जो हिंसा और जवानों के हताहत होने के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार थी। इनमें यथास्थिति को नहीं बदलने के हमारे सभी समझौतों का उल्लंघन करते हुए जमीन पर तथ्यों को बदलने की मंशा नजर आती है।” चीन के विदेश मंत्रालय के एक बयान के अनुसार दोनों पक्षों ने गलवान घाटी में झड़प के कारण बनी गंभीर स्थिति से सही तरीके से निपटने पर, दोनों पक्षों के बीच सैन्य स्तर की बैठकों में आम-सहमति के संयुक्त अनुपालन पर, यथासंभव जल्द से जल्द जमीनी हालात शांत करने पर और दोनों देशों के बीच अब तक हुए समझौते के अनुरूप सीमावर्ती क्षेत्र में अमन-चैन बनाये रखने पर सहमति जताई। बयान के अनुसार वांग ने कहा कि दोनों पक्षों को दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी महत्वपूर्ण सहमतियों का पालन करना चाहिए तथा मौजूदा माध्यमों से सीमा के हालात को उचित तरीके से संभालने के लिए संचार और समन्वय को मजबूत करना चाहिए ताकि सीमावर्ती क्षेत्र में संयुक्त रूप से अमन-चैन बनाकर रखा जा सके। भारत ने मंगलवार को कहा था कि पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प क्षेत्र में यथास्थिति को एकपक्षीय तरीके से बदलने की चीनी पक्ष की कोशिश का नतीजा है।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों के जवान हताहत हुए हैं और यदि उच्च स्तर पर पहले हो चुके समझौते का चीनी पक्ष ईमानदारी से पालन करता तो इस स्थिति से बचा जा सकता था। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, ‘‘वांग ने आग्रह किया कि भारत को 15 जून को सीमा पर हुई झड़प पर पूरी तरह जांच करनी चाहिए और घटना के लिए जिम्मेदार लोगों को कड़ी सजा देनी चाहिए।” विज्ञप्ति के अनुसार, ‘‘उन्होंने अग्रिम पंक्ति के जवानों को सख्ती से नियंत्रित रखने की और सभी उकसावे वाली कार्रवाइयों को तत्काल रोकने की मांग की ताकि इस तरह की घटनाएं फिर नहीं हों।” चीनी विदेश मंत्री के हवाले से बयान में कहा गया, ‘‘भारतीय पक्ष को मौजूदा परिस्थिति का गलत अनुमान लगाना बंद करना चाहिए और चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता को सुरक्षित रखने के दृढ़संकल्प को कमतर नहीं आंकना चाहिए।” वांग ने इस बात पर जोर दिया कि चीन और भारत दोनों एक अरब से अधिक आबादी के साथ उभरती हुई महाशक्ति हैं और ‘‘हमारे खुद के विकास और पुनरुद्धार को” गति प्रदान करना हमारे ऐतिहासिक मिशन हैं। उन्होंने कहा कि इस कारण से परस्पर सम्मान और समर्थन दोनों पक्षों के लिए सही दिशा है जो दोनों देशों के दीर्घकालिक हित में है। वांग ने कहा, ‘‘परस्पर संदेह और परस्पर टकराव गलत रास्ते हैं और दोनों पक्षों की बुनियादी आकांक्षाओं के विपरीत हैं।” चीन के विदेश मंत्री ने यह आरोप भी लगाया कि भारत के अग्रिम पंक्ति के सीमावर्ती सैनिकों ने दोनों पक्षों के बीच सैन्य स्तर पर बनी ‘‘आम-सहमति का खुल्लम-खुल्ला” उल्लंघन किया। उन्होंने दावा किया कि गलवान घाटी में हालात शांत होने पर उन्होंने ‘‘एक बार फिर एलएसी पार की और जानबूझकर अधिकारियों तथा जवानों को उकसाया तथा हिंसक हमले किये” जिन्होंने मौके पर बातचीत की थी। वांग ने कहा कि ‘‘इस कारण से आमने-सामने झड़पें शुरू हुईं और जवान हताहत हुए।” वांग ने कहा कि ‘‘भारतीय सेना के इस खतरनाक कृत्य से दोनों देशों के बीच सीमा के मुद्दे पर हुए समझौते का और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के मूलभूत नियमों का गंभीरता से उल्लंघन किया गया है।” (एजेंसी)