श्रीलंका: फूड इमरजेंसी का हुआ ऐलान, दुकानों के बाहर लंबी कतारें, बिल चुकाने तक के पैसे खत्म

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    नई दिल्ली. जहाँ एक तरफ फिलहाल श्रीलंका इस वक्त गहन आर्थिक संकट से जूझ रहा है। वहीं अब श्रीलंका ने खाद्य संकट को लेकर एक आपातकाल की घोषणा (Economic Emergency in Sri Lanka) कर दी है, क्योंकि प्राइवेट बैंकों के पास आयात के लिए विदेशी मुद्रा की कमी है। जी हाँ ख़बरों के मुताबिक राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa)ने बीते मंगलवार को चावल और चीनी सहित अन्य जरूरी सामानों की जमाखोरी को रोकने के लिए सार्वजनिक सुरक्षा अध्यादेश के तहत जरुरी आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी है। यहाँ बीते मंगलवार आधी रात से आपातकाल लागू कर दिया गया है।

    जरूरी सामानों के लिए लग रहीं लंबी कतारें 

    दरअसल इमरजेंसी का ऐलान होने पर श्रीलंका में चीनी, चावल, प्याज और आलू की कीमतों में तेज वृद्धि दर्ज हुई है। अब आलम यह है कि अकेले श्रीलंका में दूध पाउडर, मिट्टी का तेल और रसोई गैस की कमी के कारण दुकानों के बाहर लंबी-लंबी लाइनें लगी हुई हैं। फिलहाल इस जमाखोरी के लिए श्रीलंका सरकार वहां के स्थानीय व्यापारियों को जिम्मेदार ठहरा रही है। अगर मीडिया रिपोर्ट्स की बात करें तो राष्ट्रपति गोटाबया राजपक्षे ने सेना के एक शीर्ष अधिकारी को धान, चावल, चीनी और अन्य उपभोक्ता वस्तुओं की आपूर्ति के समन्वय के लिए आवश्यक सेवाओं के आयुक्त जनरल के रूप में भी अब नियुक्त किया है।

    खाद्य जमाखोरी के लिए बढ़ाया गया दंड 

    बता दें कि श्रीलंका सरकार ने खाद्य जमाखोरी के लिए अब दंड बढ़ा दिया है, लेकिन फिलहाल 21 मिलियन की जनसँख्या का ये देश एक भयंकर कोरोनोवायरस लहर से जूझ रहा है। यहां कोरोना के चलते एक दिन में 200 से अधिक लोगों की मौतें हो रही है। वहीं दूसरी तरह कोरोना की भयंकर महामारी (Coronavirus) से उबरने के लिए हो रहे संघर्ष के बीच श्रीलंका (Sri Lanka) अपने ऊपर लगे भारी कर्ज को भी फिलहाल चुकाने के लिए संघर्ष कर रहा है।

    श्रीलंकाई करेंसी में आयी भारी गिरावट

    अगर व्यवसायिक दृष्टि से देखें तो इस साल अमेरिकी डॉलर के मुकाबले श्रीलंकाई करेंसी 7.5% नीचे है। इसे देखते हुए सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका ने हाल ही में अब अपने ब्याज दरों में वृद्धि की है। आर्थिक आपातकाल के व्यापक उपाय का उद्देश्य आयातकों द्वारा राज्य के बैंकों पर उनके बकाया ऋण की वसूली करना भी है। अगर बैंक के आंकड़ों को देखें तो, श्रीलंका का विदेशी भंडार जुलाई के अंत में गिरकर मात्र 2.8 बिलियन डॉलर रह गया, जो बीते नवंबर 2019 में 7.5 बिलियन डॉलर था। यहाँ जब गोटाबाया राजपक्षे सरकार ने सत्ता संभाली थी और रुपया इस समय समय अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने मूल्य का 20% से अधिक खो चुका है।

    आखिर क्या होता है आर्थिक आपातकाल?

    बता दें कि किसी भी देश के राष्ट्रपति की तरफ से धारा 360 के तहत आर्थिक आपातकाल की घोषणा तब की जाती है, जब उन्हें ऐसा लगता है कि देश में फिलहाल भारी आर्थिक संकट पैदा हो चुका है। लेकिन यह सख्त कदम तभी उठाया जाता है, जब ऐसा लगे कि इस आर्थिक संकट के चलते देश के वित्तीय स्थायित्व को खतरा हो रहा हो। हालाँकि कोई भी सरकार इतना सख्त कदम उठाने को तब बहुत ज्यादा मजबूर हो जाती है जब आर्थिक स्थिति बदतर होने की वजह से निवर्तमान सरकार दिवालिया होने के कगार पर पहुंच चुकी हो।