Muslim Woman, Education
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    काबुल. अफगानिस्तान की तालिबान सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री ने महिलाओं के विश्वविद्यालय जाने पर रोक लगाने के अपने फैसले का बृहस्पतिवार को बचाव किया। इस फैसले की अंतरराष्ट्रीय तौर पर निंदा की गई है। निदा मोहम्मद नदीम ने मामले पर सार्वजनिक तौर पर पहली बार चर्चा करते हुए कहा कि इस हफ्ते के शुरू में लगाया प्रतिबंध विश्वविद्यालयों में लड़के-लड़कियों के मेल जोल को रोकने के लिए जरूरी था और उनका मानना है कि वहां कुछ ऐसे विषय पढ़ाए जा रहे थे जो इस्लाम के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं। उन्होंने कहा कि अगले नोटिस तक रोक जारी रहेगी।

    अफगानिस्तान के एक टीवी चैनल को साक्षात्कार देते हुए नदीम ने सऊदी अरब, तुर्किये और कतर जैसे मुस्लिम बहुल देशों समेत कई देशों द्वारा निंदा किए जाने पर पलटवार किया। नदीम ने कहा कि अन्य देशों को अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों में दखल देना बंद करना चाहिए। इससे पहले बृहस्पतिवार को, जी 7 समूह के विदेश मंत्रियों ने तालिबान से प्रतिबंध हटाने का आग्रह किया था और यह चेतावनी दी थी कि “लैंगिक उत्पीड़न मानवता के खिलाफ अपराध हो सकता है।”

    नदीम ने कहा कि फिलहाल विश्वविद्यालय महिलाओं के लिए बंद रहेंगे, लेकिन प्रतिबंध की समीक्षा बाद में की जा सकती है। पूर्व प्रांतीय गवर्नर, पुलिस प्रमुख और सैन्य कमांडर नदीम को सर्वोच्च तालिबान नेता द्वारा अक्टूबर में मंत्री नियुक्त किया गया था और उन्होंने पहले धर्मनिरपेक्ष स्कूली शिक्षा खत्म करने का संकल्प लिया था। नदीम ने महिलाओं को शिक्षा का विरोध करते हुए कहा कि यह इस्लामी और अफगान मूल्यों के खिलाफ है।

    तुर्किये के विदेश मंत्री मेवलुत कावुसोग्लू ने बृहस्पतिवार को कहा कि प्रतिबंध “न तो इस्लामी और न ही मानवीय” है। उन्होंने अफगानिस्तान से प्रतिबंध हटाने की मांग करते हुए पूछा कि महिलाओं की शिक्षा में क्या हराम है? उन्होंने कहा कि इस्लाम शिक्षा और विज्ञान को बढ़ावा देता है।

    इस बीच राजधानी काबुल में दो दर्जन महिलाओं ने बृहस्पतिवार को सड़कों पर मार्च निकाला और स्वतंत्रता एवं समानता की मांग की। ‘एसोसिएटेड प्रेस’ को मिली एक वीडियो में एक महिला ने आरोप लगाया कि तालिबान के सुरक्षा बलों ने समूह को तितर-बितर करने के लिए हिंसा का इस्तेमाल किया। (एजेंसी)