Taliban-ruled Afghanistan world's most repressive country for women UN
Photo: @AP/ Twitter

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इस्लामाबाद: संयुक्त राष्ट्र ने बुधवार को कहा कि तालिबान द्वारा कब्जा किए जाने के बाद अफगानिस्तान कई बुनियादी अधिकारों से वंचित महिलाओं एवं लड़कियों के लिए दुनिया का सबसे दमनकारी देश बन गया है। संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर जारी एक बयान में कहा कि अफगानिस्तान के नए शासकों ने ऐसे नियम लागू करने पर जोर दिया है जिनसे ज्यादातर महिलाएं और लड़कियां अपने घरों में कैद हो गई हैं।

बयान के अनुसार अगस्त 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के बाद तालिबान ने उदारवादी रुख अपनाने का वादा किया था, लेकिन उसके बावजूद उसने कठोर नियम लागू किए हैं। उन्होंने छठी कक्षा के बाद लड़कियों की शिक्षा के साथ ही पार्कों और जिम जैसे सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की मौजूदगी तक पर प्रतिबंध लगा दिए। बयान के अनुसार, इसके साथ ही महिलाओं को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों में काम करने से भी रोक दिया गया है और उन्हें सिर से पैर तक, खुद को ढंक कर रखने का आदेश दिया गया है।

महिलाओं के लेकर दुनिया का सबसे दमनकारी देश है अफगानिस्तान 

संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष प्रतिनिधि और अफगानिस्तान में मिशन की प्रमुख रोजा ओटुनबायेवा ने कहा, “तालिबान के शासन में अफगानिस्तान महिलाओं के अधिकारों को लेकर दुनिया का सबसे दमनकारी देश बन गया है।”

उन्होंने कहा, “अफगान महिलाओं एवं लड़कियों को सार्वजनिक स्थानों से बाहर करने के उनके सुनियोजित प्रयासों को देखना दुखद है।” अफगानिस्तान में महिलाओं पर विभिन्न प्रकार के प्रतिबंध की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा की गई है। लेकिन तालिबान ने अपने सख्त रुख से पीछे हटने का कोई संकेत नहीं दिया है। उसने हालांकि दावा किया है कि ये प्रतिबंध अस्थायी हैं क्योंकि महिलाएं हिजाब सही ढंग से नहीं पहन रही थीं और विभिन्न नियमों का पालन नहीं किया जा रहा था।

महिलाओं की शिक्षा पर प्रतिबंध 

विश्वविद्यालयों में महिलाओं की शिक्षा पर प्रतिबंध के बारे में तालिबान सरकार का दावा है कि पढ़ाए जा रहे कुछ विषय अफगान और इस्लामी मूल्यों के अनुरूप नहीं हैं। ओटुनबायेवा ने कहा कि देश की आधी आबादी को उनके घरों तक सीमित करना दुनिया के सबसे बड़े मानवीय और आर्थिक संकटों में से एक है तथा यह राष्ट्रीय आत्म-नुकसान का कार्य भी है। उन्होंने कहा कि इन कदमों से अफगानिस्तान अपने ही नागरिकों और बाकी दुनिया से और अलग हो जाएगा।

काबुल के एक कालीन कारखाने में कई ऐसी लड़कियां काम करती हैं जो पहले स्कूल या विश्वविद्यालयों में पढ़ाई करती थी। उनके साथ ऐसी महिलाएं भी काम करती हैं जो पहले सरकारी कर्मचारी थीं और अब वे अपना दिन कालीन बुनने में बिताती हैं। हफीजा देश में महिलाओं की शिक्षा पर प्रतिबंध लगाए जाने से पहले कानून की प्रथम वर्ष की छात्रा थीं।

उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी यहां कैदियों की तरह हैं, हमें ऐसा लगता है कि हम किसी पिंजरे में कैद हैं।”  उन्होंने कहा, “उस समय स्थिति सबसे खराब हो जाती है जब आपके सपने टूट जाते हैं, और आपको महिला होने के कारण दंडित किया जाता है।”