United Nations begins monitoring Sri Lanka after resolution passed in UNHRC against human rights policies

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    जिनेवा: जिनेवा (Geneva) में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (United Nations Security Council) (यूएनएचआरसी) (UNHRC) ने मंगलवार को श्रीलंका (Sri Lanka) के मानवाधिकार (Human Rights) रिकॉर्ड के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया, जो कोलंबो (Colombo) के लिए एक झटका है। श्रीलंका ने इस प्रस्ताव पर मतदान से पहले अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करने के लिए काफी प्रयास किए थे। यूएनएचआरसी ने ‘प्रमोशन ऑफ रीकंसिलिएशन अकाउंटैबिलिटी एंड ह्यूमन राइट्स इन श्रीलंका’ शीर्षक वाला प्रस्ताव पारित किया। प्रस्ताव के समर्थन में 47 में से 22 सदस्यों ने मतदान किया जबकि ग्यारह सदस्यों ने इसके खिलाफ मतदान किया। भारत उन 14 देशों में शामिल था, जो मतदान में शामिल नहीं हुए।

    श्रीलंका ने मसौदा प्रस्ताव को ‘‘अवांछित, अनुचित और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के प्रासंगिक अनुच्छेदों का उल्लंघन बताया।” भारत ने आग्रह किया कि श्रीलंका सरकार सुलह की कुछ प्रक्रिया को आगे बढ़ाए, तमिल समुदाय की आकांक्षाओं का समाधान करे और यह सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ रचनात्मक रूप से बातचीत करे ताकि उसके सभी नागरिकों के मौलिक अधिकारों और मानवाधिकारों का पूरी तरह से संरक्षण हो।

    संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार निकाय में श्रीलंका के खिलाफ इससे पहले भी तीन बार प्रस्ताव पारित हुए हैं जब गोटबाया राजपक्षे के बड़े भाई और वर्तमान प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे 2012 और 2014 के बीच देश के राष्ट्रपति थे।

    गोटबाया राजपक्षे सरकार पूर्ववर्ती सरकार द्वारा पहले पेश किये गए प्रस्ताव के सह-प्रायोजन से आधिकारिक रूप से अलग हो गई थी। उसमें मई 2009 में समाप्त हुए लगभग तीन दशक लंबे गृहयुद्ध के अंतिम चरण के दौरान सरकारी सैनिकों और लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (लिट्टे), दोनों के कथित युद्ध अपराधों की अंतरराष्ट्रीय जांच का आह्वान किया गया था।

    श्रीलंका को चीन, रूस और पाकिस्तान सहित कई मुस्लिम देशों से समर्थन का आश्वासन दिया गया था। प्रस्ताव पर मतदान से पहले राष्ट्रपति गोटबाया और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने विश्व मुस्लिम नेताओं को फोन किये थे। प्रस्ताव में ‘‘(श्रीलंका) सरकार से आह्ववान किया गया है कि यदि जरूरत हो तो वह युद्ध के दौरान कथित मानवाधिकारों के उल्लंघनों और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के गंभीर उल्लंघनों से संबंधित सभी कथित अपराधों की पूरी तरह से और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करे और मुकदमा चलाए।”

    प्रस्ताव जिनेवा में यूएनएचआरसी के 46 वें सत्र में श्रीलंका पर कोर समूह ने पेश किया, जिसमें ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी, मलावी, मोंटेनेग्रो और नॉर्थ मकदूनिया शामिल हैं।