भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की मौत पर अमेरिका ने जताया शोक

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    वाशिंगटन. अमेरिका (America) में जो बाइडन प्रशासन और सांसदों ने अफगानिस्तान (Afghanistan) में अफगान बलों और तालिबानी आतंकवादियों के बीच जंग को कवर करने के दौरान भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी (Indian Photojournalist Danish Siddiqui) की मौत पर शोक जताया है। वर्ष 2018 में पुलित्जर पुरस्कार जीत चुके सिद्दीकी रॉयटर्स समाचार एजेंसी के लिए काम करते थे। पाकिस्तान के साथ सीमा के पास स्पिन बोल्डक (Spin Boldak) शहर में शुक्रवार को वह मारे गए।

    उस दौरान वह अफगान विशेष बलों के साथ जुड़े हुए थे। अमेरिका के विदेश विभाग में प्रधान उप प्रवक्ता जलिना पोर्टर ने पत्रकारों से कहा, ‘‘हमें यह सुनकर गहरा दुख हुआ है कि रॉयटर्स के फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी अफगानिस्तान में लड़ाई को कवर करते हुए मारे गए।” उन्होंने कहा, ‘‘सिद्दीकी ने अक्सर दुनिया के सबसे अधिक जरूरी और चुनौतीपूर्ण खबरों पर अपने काम से प्रशंसा पाई। वह ध्यान आकर्षित करने वाली तस्वीरें लेते थे जो भावनाओं से ओत-प्रोत होतीं और सुर्खियां बनाने वाले मानवीय चेहरे को व्यक्त करते थे। रोहिंग्या शरणार्थी संकट पर उनकी शानदार रिपोर्टिंग ने उन्हें 2018 में पुलित्जर पुरस्कार दिलाया।” पोर्टर ने कहा, ‘‘सिद्दीकी का निधन न केवल रॉयटर्स और उनके मीडिया सहयोगियों के लिए बल्कि बाकी दुनिया के लिए भी एक बहुत बड़ी क्षति है। अफगानिस्तान में अब तक बहुत से पत्रकार मारे जा चुके हैं। हम हिंसा को समाप्त करने का आह्वान करते हैं। अफगानिस्तान में आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता न्यायसंगत और टिकाऊ शांति समझौता है।” सीनेट की विदेश मामलों की समिति में शीर्ष सदस्य सीनेटर जिम रिस्च ने भारतीय पत्रकार की मृत्यु पर शोक जताया है।

    उन्होंने कहा, ‘‘अफगानिस्तान में ‘‘तालिबान को कवर करते हुए” रॉयटर्स के पत्रकार दानिश सिद्दीकी की दुखद मौत हमें समाचार साझा करने के लिए जोखिम उठाने वाले उन पत्रकारों की याद दिलाती है। किसी भी पत्रकार की अपना काम करते हुए मौत नहीं होनी चाहिए।” वाशिंगटन डीसी में सीपीजे के एशिया कार्यक्रम समन्वयक स्टीवन बटलर ने कहा, ‘‘रॉयटर्स के फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी की मौत आज एक दुखद सूचना है। भले ही अमेरिका और उसके सहयोगी सेना बुला लें, फिर भी पत्रकार अफगानिस्तान में काम करना जारी रखेंगे जो उनके जीवन के लिए बहुत बड़ा खतरा है।” उन्होंने कहा, ‘‘पत्रकारों की सुरक्षा के लिए लड़ाकों को जिम्मेदारी लेने की जरूरत है, क्योंकि इस संघर्ष में दर्जनों पत्रकार मारे गए हैं, जिनमें बहुत कम या कोई जवाबदेही नहीं ली गई है।” (एजेंसी)