जब मिनटों में हो गया था आधे से ज़्यादा शहर तबाह, लेबनान की राजधानी बेरूत में हुए विस्फोट से दुनिया ने लिया सबक… 

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बेरूत: साल 2020 में अगर सिर्फ कोरोना (Corona) ही दुनिया को परेशान करने के लिए काफी नहीं था तो एक और ऐसी घटना सामने आई जिसने दुनिया को झांगझोड़ कर दिया था। कोरोना से लड़ रहे लेबनान  (Lebanon)   में पहले ही आर्थिक संकट था इसी बीच अगस्त में राजधानी बेरूत (Beirut) के प्रमुख बंदरगाह (Port) पर रखे हज़ारों टन विस्फोटक मटीरियल (Explosive Material) में अचानक धमाका हो गया। इस हादसे में 200 से ज़्यादा लोगों की मौत हुई थी और 6,500 से ज्यादा घायल होगए थे। इस विस्फोट से 10 अरब डॉलर से लेकर 14 अरब डॉलर तक का नुकसान हुआ था और करीब 3,00,000 लोग बेघर हो गए थे। घटना के बाद भारत (India) सहित कई देशों ने विस्फोटक पदार्थ इखट्टा करने पर सोच विचार भी शुरू कर दिए हैं। 

2750 टन  अमोनियम नाइट्रेट में हुआ था धमाका 

विस्फोट 2750 टन  अमोनियम नाइट्रेट में हुआ था। विस्फोटक और उर्वरक के काम में आने वाले रसायन को 2013 में एक पोत (Port) से जब्त किया गया था और तभी से यह बंदरगाह पर रखा हुआ था। विस्फोट के बाद सरकार ने जांच शुरू की थी, लेकिन धमाकों (Explosion) के बाद सरकार (Government) की जबर्दस्त आलोचना भी हुई थी। कई देशवासियों ने इस घटना के लिए लापरवाही और भ्रष्टाचार (Corruption) को कसूरवार बताया था। एक रिपोर्ट के मुताबिक, लेबनान के सीमा शुल्क अधिकारियों, सेना, सुरक्षा एजेंसियों और न्यायपालिका के अधिकारियों ने पिछले छह वर्ष में कम से कम 10 बार इस बात को लेकर चेतावनी दी थी कि बेरूत के बंदरगाह में विस्फोटक रसायनों का जखीरा पड़ा है और उसकी सुरक्षा लगभग न के बराबर है। 

प्रधानमंत्री हसन दिआब और तीन पूर्व मंत्रियों के खिलाफ आरोप तय, चलेगा मुकदमा 

विस्फोट के बाद सामने आए कुछ दस्तावेजों से पता चला था कि, इन चेतावनियों पर जरा भी गौर नहीं किया गया और 2,750 टन अमोनियम नाइट्रेट (Ammonium Nitrate) में विस्फोट हो गया जिससे देश के मुख्य वाणिज्यिक केंद्र में भयंकर तबाही मची और हर तरफ सिर्फ मौत और बर्बादी के मंजर देखे गए थे। धमाके को लेकर भारी विरोध झेल रही सरकार के मंत्रिमंडल और लेबनान के प्रधानमंत्री मुस्तफा अदीब (Mustapha Adeeb) ने प्रदर्शनों (Protests) के बाद इस्तीफा (Resign) दे दिया था। लेबनान के कोर्ट ने इस हादसे पर निवर्तमान प्रधानमंत्री हसन दिआब और तीन पूर्व मंत्रियों के खिलाफ आरोप तय किए। एक जांच रिपोर्ट में दिआब और तीन पूर्व मंत्रियों के लापरवाही करने का मामला सामने आया था। जिसके बाद अदासत ने इन लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर मुकदमा चलाने के आदेश दिए थे।

बेरूत में आपातकाल लगा था 

बनान की संसद ने बेरूत में आपातकाल (Emergency) लगाने को मंजूरी दी थी। बेरूत में चार अगस्त को हुए धमाके के बाद संसद (Parliament) की पहली बैठक में जनता के आक्रोश और राजनीतिक अस्थिरता के बीच सेना को विस्तृत शक्ति देने वाले आपातकाल के प्रस्ताव पर मुहर लगाई गई थी।  जनता के दबाव की वजह से सरकार को इस्तीफा देना पड़ा है। सरकार ने इस्तीफा देने से पहले बेरूत में आपातकाल की घोषणा की थी जिसके तहत सेना को कर्फ्यू लगाने, लोगों के एकत्र होने पर रोक लगाने, मीडिया पर सेंसर लगाने, सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करने संबंधी मुकदमों को सैन्य न्यायाधिकरण के पास स्थानांतरित करने सहित अपार शक्तियां दी गईं थीं। 

बेरूत विस्फोट से तबाह हुआ था 19वीं शताब्दी का ऐतिहासिक महल

बेरूत के 160 साल पुराने महल ने दो विश्वयुद्ध झेले थे। उस्मानिया साम्राज्य का सूरज अस्त होते देखा था और फ्रांस (France) का कब्जा और फिर लेबनान की स्वतंत्रता का गवाह बना था। आजादी के बाद 1975-1990 के खूनी गृहयुद्ध खत्म होने पर 20 साल की मशक्कत से इसकी पुरानी शान बहाल की गई था, लेकिन बेरूत में हुए भयानक धमाके में यह तबाह हो गया था।  

बेरूत विस्फोट पर पीएम मोदी ने भी जताया था दुख

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने लेबनान की राजधानी बेरूत में हुए विस्फोट पर दुख जताया था और विस्फोट में मारे गए लोगों के परिजनों और घायलों के प्रति संवेदना व्यक्त की थी। प्रधानमंत्री कार्यालय ने मोदी के हवाले से ट्वीट कर कहा था, ‘‘बेरूत में बड़े विस्फोट में हुए जान व माल के नुकसान से मैं स्तब्ध और दुखी हूं। हमारी प्रार्थनाएं शोक संतप्त परिवारों और घायलों के साथ हैं।”   

संकट की घड़ी में भारत लेबनान की मदद के लिए आगे आया 

लेबनान की राजधानी बेरूत में हुए विस्फोट के बाद लेबनान की मदद के लिए भारत आगे आया। भारत ने लेबनान को मेडिकल (Medical) और फूड सप्लाई (Food Supply) सहित 58 मीट्रिक टन इमरजेंसी सहायता (Emergency Aid) पहुंचाया था। राहत सामग्री (Relief Aid) में खाने का सामान और कंबल, स्लीपिंग मैट जैसी ज़रूरी चीजें शामिल हैं। लेबनान में कोरोना के मामलों को देखते हुए, भारत ने पीपीई किट, सर्जिकल गाउन, ग्लव्स जैसी चीजें भी भेजीं थीं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने सामग्री पहुंचने की जानकारी ट्विटर पर दी थी, उन्होंने लिखा था, “इंडियन एयरफोर्स के C-17 विमान भारत से 58 मीट्रिक टन मानवीय सहायता भारत से लेबनान के लोगों के लिए बेरुत ब्लास्ट के मद्देनजर राहत प्रयासों में सहायता के लिए पहुंचाई गई।” 

विश्व के देशों ने पेश की थी मानवता की मिसाल 

भीषण विस्फोट के बाद दुनिया के कई देशों ने लेबनान की मदद का संकल्प जताया। धमाकों के बाद दुनिया के कई देशों ने घटना पर शोक जताया और मदद की पेशकश की। ऑस्ट्रेलिया (Australia), इंडोनेशिया (Indonesia) से लेकर यूरोप (Europe) के कुछ देशों, अमेरिका (America) ने मदद की पेशकश की थी। फ्रांस (France) ने दो विमानों के जरिए बेरूत के लिए मदद की सामग्री और बचाव दल के लोगों को भेजा था। चेक रिपब्लिक (Czech Republic), जर्मनी (Germany), यूनान (Greece), पोलैंड (Poland) और नीदरलैंड (Netherlands) ने भी मदद भेजी थी। इजराइल (Israel) के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) ने भी लेबनान की सहायता करने का संकल्प जताया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) भी चिकित्सा उपकरणों को लेबनान के लिए भेजा था। रूस ने भी राहत सामग्री के साथ पांच विमान बेरूत भेजे थे।

हादसे से भारत ने लिया था सबक 

बेरूत में हुए धमाके का इम्पैक्ट (Impact) दुनिया के कई देशों पर भी असर कर गया। कई देशों ने अपने एक्सप्लोसिव स्टोरेज (Explosive Storage) को रियूव करना शुरू कर दिया है। वहीं भारत (India) ने भी इस घटना से सबक लेते हुए चेन्नई (Chennai) के पास एक कंटेनर फ्रेट स्टेशन पर रखे हुए 697 टन विस्फोटक पदार्थ को ई-ऑक्शन (E-Auction) के ज़रिए नीलाम करना शुरू कर दिया था। दरअसल चेन्नई के बाहरी इलाके में रखे लगभग 697 टन विस्फोटक पदार्थ सहित 20 टन अमोनियम नाइट्रेट को लेकर चिंता जाहिर होने लगी थी। एक रिपोर्ट अनुसार, इसे साल 2015 में जब्त किया गया था और यह पटाखे बनाने के लिए मशहूर शिवाकाशी समूह के लिए लाया गया था। निर्यातक ने खाद बनाने के लिए इसका इस्तेमाल करने की बात कही थी, लेकिन जांच में यह विस्फोटक स्तर का पाया गया था। वैसे भारत में अमोनियम नाइट्रेट का सबसे ज्यादा इस्तेमाल एक्सप्लोसिव इंडस्ट्री के लिए होता है। इस इंडस्ट्री में हर साल करीब 6 लाख मीट्रिक टन अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल होता है। भारत में अमोनियम नाइट्रेट के इम्पोर्ट और प्रोडक्शन के लिए कड़े लाइसेंस नियम हैं।