क्यों मनाया जाता है विश्व संस्कृत दिवस, जानें इसका इतिहास और महत्व

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    नई दिल्ली : विश्व संस्कृत दिवस हर साल हिंदू कैलेंडर के अनुसार सावन की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह दिन 22 अगस्त को मनाया जाता है। इस साल भी यह पूर्णिमा के दिन 22 अगस्त यानी रविवार के दिन मनाया जाएगा। विश्व संस्कृत दिवस को विश्वसंस्कृतदिनम के नाम से भी जाना जाता है। तो चलिए आज विश्व संस्कृत दिवस के अवसर पर इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें आपको बताते है….. 

    संस्कृत दिवस मनाने का उद्देश्य 

    संस्कृत दिवस मनाने का एक खास उद्देश्य है। पुरे विश्व में संस्कृत भाषा का संरक्षण करना और इसे बढ़ावा देना है। आपको बता दें कि संस्कृत भाष को उत्तराखंड की दूसरी आधिकारिक भाषा के रूप में घोषित किया गया था।आपके जानकारी के लिए बता दें की संस्कृत एक बेहद व्यापक भाषा है। इसमें 102 अरब, 78 करोड़, 75 लाख शब्दों की सबसे बड़ी शब्दावली है। इस भाषा को संजोये रखने लके लिए और इसका विस्तार करने के लिए यह दिन मनाया जाता है। 

     

    संस्कृत दिवस मनाने की वजह 

    जिस दिन को हम खास दिन या विशेष दिन के तोर पर मनाते है, इसके पीछे कई सारी वजहें भी होती है। आपको बताएं दें कि संस्कृत यह भारत की सबसे प्राचीन भाषा है, इस भाषा का महत्व बनाये रखने के लिए और इसे बढ़ावा देने के लिए हर साल सावन माह की पूर्णिमा को यह दिन विश्व संस्कृत दिवस के तौर पर मनाया जाता है। जैसा की हम सब जानते है, संस्कृत भाषा को देव वाणी मतलब भगवान की भाषा कहां जाता है। 

    संस्कृत दिवस का महत्व 

    जिस दिन को विश्व स्तर पर मनाया जाता है, उसका महत्व भी होता है। विश्व संस्कृत दिवस भारत के सबसे प्राचीन भाषा यानी संस्कृत के बारें में जागरूकता लाने के लिए और और इसे बढ़ावा देने के लिए साथ ही इसे पुनर्जीवत करने के लिए मनाया जाता है। यह दिन पर खास तोर से संस्कृत भाषा को जानने और समझने के महत्व को बढ़ाता है। आपको बता दें कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है साथ ही भारत में बोली जाने वाली सबसे पुरानी भाषा है।  

    संस्कृत दिवस का इतिहास 

    आपको बता दें कि विश्व संस्कृत दिवस सब पहले 1969 में मनाया गया था। यह दिन भारत के सबसे प्राचीन भाषा यानि संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए इसके महत्व के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए यह दिन मनाया जाता है। यह भाषा हमारे देश की समृद्ध संस्कृति को दर्शाता है। हम सब जानते है म की हमारे हिन्दू संस्कृति में पूजा पाठ में भी संस्कृत भाषा का उपयोग किया जाता है। ऐसा मन जाता है की संस्कृत भाषा की उत्पत्ति भारत में लगभग 3500 साल पहले हुई थी।