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    यवतमाल. पिछले कुछ दिनों में जिले में कोरोना रोगियों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है. हर दिन सैकड़ों नए रोगियों के निदान के साथ जिला अब उन रोगियों के लिए दवाओं की कमी का सामना कर रहा है. इस संदर्भ में है कि खाद्य और औषधि प्रशासन ने रिक्त पदों को भरना शुरू कर दिया है. वर्तमान में काम कर रहे एक ड्रग इंस्पेक्टर पर पूरे जिले का बोझ है.

    जिले में सैकड़ों नए कोरोना के मरीज मिल रहे हैं. परिणामस्वरूप कोरोना का इलाज करने वाले जिला अस्पताल सहित सभी सरकारी और निजी अस्पताल हाउसफुल हो गए हैं. इस जगह पर इलाज करवाने वाले मरीजों की संख्या में भी जबरदस्त वृद्धि हुई है.  जिले में गंभीर रूप से बीमार रोगियों और अन्य रोगियों के उपचार के लिए आवश्यक कुछ दवाओं की कमी है. दवाएं रेमडेसिविर पर इंजेक्शन की सबसे बड़ी कमी का सामना कर रही हैं. 

    2 पदों को मिली है मंजूरी

    जिले में दवाओं की कमी को देखते हुए जिलाधिकारी ने दवा योजना का महत्वपूर्ण कार्य खाद्य व औषधि प्रशासन को सौंपा है. इन इंजेक्शनों के वितरण की जिम्मेदारी उस स्थान पर कार्यरत ड्रग इंस्पेक्टर को सौंपी गई है. जिले में कम आपूर्ति में है. इस विभाग में आवश्यक चिकित्सा आयुक्त के महत्वपूर्ण पद रिक्त हैं. 

    जिले में 2 दवा इंस्पेक्टर के पद स्वीकृत किए गए हैं वर्तमान में केवल एक ड्रग इंस्पेक्टर काम कर रहा है. कोरोना के प्रकोप के दौरान ड्रग प्लानिंग की सारी जिम्मेदारी इस अकेले ड्रग इंस्पेक्टर के कंधों पर आ गई. जिले में खाद्य और औषधि प्रशासन जैसे महत्वपूर्ण विभाग पिछले कई वर्षों से रिक्तियां निकाल रहे हैं. विभाग को मोचके अधिकारियों और कर्मचारियों के भरोसे चलाया जाता है. 

    रेमडेसिविर के नियोजन का तनाव

    वर्तमान में जिले में रेमडेसिविर इंजेक्शन की भारी कमी है. कोरोना रोगियों के लिए एक महत्वपूर्ण दवा है. इंजेक्शन की सुपुर्दगी की योजना बनाने की जिम्मेदारी ड्रग इंस्पेक्टर को इस रीमेक में सौंपी गई है. इन इंजेक्शनों की आपूर्ति कम है और मांग अधिक है, सभी नियोजन का तनाव बढ़ गया है.