- 15 जनवरी से 27 फरवरी 2021 तक विदर्भ प्रान्त मे चलेगा निधी समर्पण, गृह संपर्क अभियान -गोविदं शेंडे
यवतमाल. श्रीराम जन्मभुमी पर भव्य मंदिर बनाने का स्वप्न अब पुर्ण हो रहा है, शेकडो वर्ष तथा लाखों बंधु और बहनोंके बलीदान के बाद यह मंदिर का निर्माण होना यह स्वाभिमानी एवं सशक्त राष्ट्र निर्माण की आधारशिला है.
हिन्दु जनमानस को श्रीराम जन्मभूमी के प्रती सजग करने का कार्य 1984 से विश्व हिन्दु परिषद के माध्यम से प्रारंभ हुवा. श्रीराम जानकी रथ यात्रा के माध्यम से प्रारंभ इस अभियान मे जन-जन को श्रीराम जन्मभूमी मुक्ती आंदोलन से जोडा, शिला पूजन करके हर परिवार से सव्वा रूपया लेकर भव्य मंदिर निर्माण का कार्य प्रारंभ किया, परंतू केंद्र की सरकार के अनास्था के कारण मंदिर का प्रश्न अनेक वर्षों तक प्रलंबित रहा, 9 नवंबर 2019 को प्रदीर्घ न्यायालयीन लडाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हिन्दु समाज का दावा मान्य किया और विवादित भूमी श्रीरामजन्मभुमी है यह निर्णय दिया और भारत सरकार को एक न्यास बनाने का निर्देश दिया.
सरकारने ‘श्रीराम जन्मभूमी तीर्थक्षेत्र” के नाम से न्यास की घोषणा की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में भूमी पूजन करके मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया को गति प्रदान की.
शेन्डे ने बताया की मंदिर निर्माण का कार्य प्रारंभ हो चुका है. मुंबई, दिल्ली, चेन्नई तथा गुवाहाटी के आईआईटी, सीबीआरआई रूडकी, लार्सन एंड टूब्रो तथा टाटा के विशेषज्ञ अभियंता मंदिर की मजबूत नीव की ड्रोइंग पर परामर्श कर रहे हैं. बहूत ही शीघ्र नीव का प्रारूप सामने आ जायेगा. संपूर्ण मंदिर पत्थरों का है. साम्यखळ मंजिल की उचाई 161 फीट, लंबाई 360 फीट तथा चौडाई 235 फीट है.
शेकडो वर्ष चलें इस संघर्ष के निर्णय के हम साक्षीदार है, यह हमारा सौभाग्य है, श्रीराम जन्मभूमी पर भव्य मंदिर बनाने का हमने प्रण लिया उसी प्रण को पूर्ण करने के लिए आगामी मकरसंक्रांती से याने 15 जनवरी से 27 फरवरी तक निधी संग्रह, गृह सपर्क अभियान चलनेवाला है इस जन संपर्क अभियान में लाखो कार्यकर्ता जुटेंगे तथा समाज स्वेच्छा से सहयोग करेगा क्योकी काम भगवान का है. मंदिर भी भगवान का है.
र्वतमान पिढी को इस मंदिर के इतिहास की सच्चाइयों से अवगत कराने की योजना बनी है. देश की कम से कम आधी जनसंख्या को घर-घर जाकर श्रीराम जन्मभूमी की ऐतिहासिक सच्चाई अवगत कराया जाएगा.
इस अभियान के माध्यम से समाज के हर व्यक्ती का सहयोग इस मंदिर निर्माण में रहे इस दृष्टीसे 10 रु, 100 रुपए, 1000 रुपए राशी के कुपन तथा उससे अधिक राशि रसीद द्वारा संग्रह की जाएगी, समाज जैसा देगा उसी के अनुरुप कुपन या रसीद देंगे तथा करोडो घरों में भगवान के मंदिर का चित्र भी पहुंचाएंगे.
इस अभियान के लिए विदर्भ प्रांत की समिति का गठन किया है. जिसकी अध्यक्षता देवनाथपीठाधीरश्वर आचार्य जितेंद्रनाथ महाराज करेंगे. अभियान के प्रांत प्रमुख गोविंद शेंडे होंगे इस तरह हर जिला, तहसील, यवतमालनगर के अभियान समिति अलग से बनी है, यवतमाल सरकारी जिला में कार्य के दृष्टिसे तिन जिलों का गठन किया है. यवतमाल, पुसद और पांढरकवडा. इस प्रकार तीनों जिलों की अलग-अलग समिति का गठन किया है. यवतमाल जिला के प्रमुख ज्ञानेश्वर रुईकर, सहप्रमुख अमोल ढोणे, पुसद के बालाजीपंत कामीनवार, पांढरकवडा के रवि धावरशेट्टिवार तथा यवतमाल के मनिष बिसेन इन समितियों में समाज के विभिन्न लोगों का समावेश भी किया गया है. पत्रकार वार्ता में यवतमाल जिला संघचालक प्रदिप वडनेरकर, विश्व हिन्दू परिषद के प्रान्त अध्यक्ष राजेश्वर निवल, प्रान्त के सहअभियान प्रमुख शैलेश पोतदार उपस्थित थे.