Demand for giving economic package to poultry farm entrepreneurs
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नेर. जिले में बर्ड फ्लू के प्रकोप के चलते जिला परिषद के पशुपालन विभाग को अलर्ट कर दिया गया है. इस पृष्ठभूमि पर जिला पशुपालन विभाग ने पोल्ट्री व्यापारियों द्वारा पोल्ट्री फार्मों के तत्काल कीटाणुमुक्त करने के आदेश जारी किए गए हैं. जिले में 4 से 5 लाख मुर्गियों की क्षमता वाले 200 पोल्ट्री फार्मों पर सावधानी बरती जा रही है.

डरने नहीं, सतर्क रहे : खेरड़े

जिला पशुपालन अधिकारी डा.राजीव खेरड़े ने कहा है कि जिले के मुर्गीपालकों को डरना नहीं चाहिए. जिले में बर्ड फ्लू की पृष्ठभूमि के खिलाफ तहसील स्तर पर एक त्वरित कृति दल बनाया गया है. टीम ने जिले में पोल्ट्री शेड का दौरा करना, मवेशी पालक कों  बीमारी के बारे में बताया, जागरूकता पैदा करना, मृत पक्षियों को पी.एम. करके और उनके सैंपल पुणे और भोपाल में प्रयोगशालाओं को भेजना.आदि किया जाएगा. मुर्गी, जंगली पक्षी और प्रवासी पक्षियों के बीच असाधारण मौतें जिले में कहीं भी देखी जा रही हैं. इसलिए सतर्क रहने  की अपील जिला पशुपालन अधिकारी डा. राजीव खेरड़े ने की है. पोल्ट्री फार्म में जंगली पक्षियों जैसे, बत्तखों, कौवों आदि के संपर्क में न आए इसका  भी ध्यान रखना चाहिए.

पशुपालन विभाग के आदेश में कहा गया है कि जैव सुरक्षा नियमों को सख्ती से पालन किया जाना चाहिए. यदि मृत पक्षी पाए जाते हैं, तो जिला और तहसील पशुपालन कार्यालयों को तुरंत सूचित किया जाना चाहिए.  पोल्ट्री शेड को सोडियम हाइपोक्लोराइड, वॉशिंग सोडा, चूने के साथ कीटाणुरहित किया जाना है.100 डिग्री सेल्सियस से ऊपर खाना पकाने के बाद ही चिकन, अंडे का सेवन किया जाना चाहिए.चिकन को साफ करते समय हाथ मोजा का उपयोग  किया जाना चाहिए.

मृत पक्षी मिलने पर तुरंत सुचित करें

पक्षी मर जाता है तो पक्षी को मत छुओ. पक्षी की बूंदों के साथ-साथ मल के संपर्क से बचें. बर्ड पिंजरों और बर्तनों को धोएं जिनमें उन्हें डिटर्जेंट पाउडर के साथ दैनिक रूप से खिलाया जाता है. यदि कोई पक्षी मर जाता है, तो उसे अपने नंगे हाथों से न छुएं. तुरंत जिला और मंडल नियंत्रण कक्ष को रिपोर्ट करें.कच्चे पोल्ट्री उत्पादों के साथ काम करने पर साबुन और पानी से हाथ धोएं. व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें. परिसर को साफ रखें. मास्क का प्रयोग करें और क्लोज का उपयोग करें. वन विभाग के साथ ही पशुपालन विभाग को उचित निवारक उपायों के लिए सूचित किया जाना चाहिए.

-डा.राजीव खेरड़े, जिला पशुसंर्वधन अधिकारी, यवतमाल.