5 जून को छायाकल्प खंडग्रास चंद्रग्रहण

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यवतमाल. आकाश में हमें कई प्रकार के सूरज और चंद्रग्रहण देखने मिलते है. लेकिन छायाकल्प चंद्रग्रहण की ओर सभी सामान्य लोग अनदेखी करते है. क्योंकि इस छटा में चांद काला दिखता नही. जब सूरज, पृथ्वी और चांद सरल रेखा में आते है और पृथ्वी की घनी छांव चांद पर पडती है, तभी चंद्रग्रहण होता है. लेकिन पृथ्वी की दो प्रकार की छांव आकाश में पडती है. एक घनी छांव (उम्ब्रा) और दूसरी फैली हुई छांव (पेनुम्ब्रा) या प्रछाया- उपछाया होती है. जब पृथ्वी पर फैली हुई छांव से चांद जब उस दिशा में जाता है, उसे छायाकल्प चंद्रग्रहण या मांद्य चंद्रग्रहण कहते है. इस समय चांद सिर्फ 57 फिसदी फैली छांव से जाएगा. जिससे ग्रहण  खंडग्रास रहेगा. जून के पूर्णिमा के चांद को स्ट्राबेरी मून के अलावा उसे स्ट्राबेरी छायाकल्प चंद्रग्रहण कहना उचित होता है. ऐसे प्रकार का चंद्रग्रहण 5 जून को होंगा. यह ग्रहण रात 11 बजकर 13 मिनट से प्रारंभ होगा. जो 6 जून को समाप्ति उत्तर रात में 2 बजकर 37 मिनट को होगा. अर्थात ग्रहण 3 घंटे 24 मिनट का होगा.

इस दौरान चांद पृथ्वी की फैली हुई छांव में यात्रा करता रहेगा. यह चंद्रग्रहण प्रशांत महासागर, ऑस्ट्रेलिया, अंटार्कटिका, युरोप, आफ्रिका और दक्षिण अमेरिका में संपूर्ण दक्षिण भाग के प्रदेश में दिखेगा. इससे पहले चंद्रग्रहण 10 जनवरी को हुआ था. अब आगामी 4 जुलाई और 29 नवंबर को ऐसा ग्रहण फिर होगा. इस चंद्रग्रहण के समय खगोल अभ्यासक और जिज्ञासुओं ने इस ग्रहण का  निरक्षिण कर चांद के तेजस्वी रहते समय उसका सही अभ्यास करें, ऐसा आह्वान स्काय वॉच ग्रुप के अध्यक्ष रवद्रिं खराबे, राम जयस्वाल, प्रमोद जिरापूरे, प्रशांत भगत, देवेंद्र पांडे, जयंत कर्णीक, उमेश शेंबाडे, भूषण ब्राम्हणे, पूजा रेकलवार और मानसी फेंडर ने किया है.