Sand quarrying continues on Bawanthadi river bank
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यवतमाल. एक ओर जहां कोरोना महामारी का संकट है, वहीं दूसरे ओर आज रेत की चोरी भी धडल्ल से की जा रही है. जिला प्रशासन को इस संबंध में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है. प्रतिदिन रेती की होनेवाली तस्करी पर अंकुश लगेगा या नहीं? इस ओर जिले के सभी नागरिकों की नजरे लगी हुई है. नदी-नालों से रेत सरकारी राजस्व के प्रमुख स्त्रोतों में से एक है. लेकिन यवतमाल जिले में 120 में से सौ से अधिक रेतीघाटों की नीलामी नहीं होने से सरकार को करोडों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है. इसके विपरीत, तस्कर सरकार को एक भी रुपया चुकाए बिना इन घाटों से हजारों ब्रास रेती का उत्खनन कर रहे हैं. सरकारी खजाने में जानेवाला राजस्व तस्करों के खजाने में जा रहा है. सरकार और राजनीतिक व्यवस्था के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष समर्थन से, जिले में रेत की तस्करी राजस्व प्रणाली के नियंत्रण से बाहर हो गई है.

जिले में सौ से अधिक घाट खुले है, जिले में 120 प्रमुख रेती घाट हैं. इनमें से केवल कलंब वेणी (झरी), बेलोरा (वणी), कोटीशारी (घाटंजी), ताडसावली (घाटंजी), निंबर्डा (घाटंजी), भोसा तांडा (यवतमाल), सावंगी (दारव्हा), नवरगाव (बाभूलगाव) आदि 17 से 18 रेती घाटों की नीलामी हुई है तो अन्य शेष रेतीघाटों उतना प्रतिसादन नहीं मिलने से शासन का करोडों रुपयों का राजस्व रुक गया है. हालांकि, कागजों पर नीलामी की प्रक्रिया नहीं की गई है, वास्तव इन घाटों से बडी मात्रा में रेती निकाली जा रही है. इसके लिए, हमारा काम छिपे हुए समर्थन देकर और राजस्व प्रणाली को खारिज करके किया जा रहा है. राजस्व प्रणाली को भी ईमानदारी से और केवल दिखावे के लिए देखा जाता है.

तस्करों पर पकड ढीली, यवतमाल जिले में अवैध तस्करी दिन पर दिन बढती जा रही है और प्रशासन इसे नजरअंदाज नहीं करता दिख रहा है. रेती चोरी पर प्रशासन अपनी पैनी नजर नहीं रख सकते  क्या? यह सवाल अब जनता के सामने आ रहा है. कुछ प्रशासनिक अधिकारियों ने पहले चोरी पकड़ने की कोशिश की थी, लेकिन इसके जवाब में तस्करों ने भी हमला किया है. यह मामला गंभीर होता जा रहा है

नेर, नांदगाव खंडेश्वर तक आपूर्ति

बाभुलगांव तहसील की रेत नेर और अमरावती जिले के नांदगाव खंडेश्वर तक भेजी जा रही है, इसलिए यह सवाल उठता है कि सरकारी यंत्रणा से कौन इसे बढावा दे रहा है. यवतमाल, आर्णी, पांढरकवडा आदि तहसीलों में भी धडल्ल से रेतीघाटों से ट्रैक्टर, ट्रक से रेती की चोरी की जा रही है. कलंब तहसील के कलसपुर में मशीन से रास्ता बनाकर ट्रेझर बोट द्वारा हजारों ब्रास रेती का उत्खनन किया जा रहा है.

दिग्रस में नकली रसीदे बनी चुनौती

दिग्रस तहसील में, यह ज्ञात है कि नकली रसीदों का उपयोग रेत की तस्करी के लिए किया जा रहा है. इस तथ्य के बावजूद कि ये रसींदे स्पष्ट रूप से नकली हैं, सरकार ठोस कार्रवाई करने की पहल नहीं कर रहीं है. दिग्रस में फर्जी रसीदे जिला प्रशासन के चुनौती बन गई है.

रेती घाट पर पहुंचे भाजपा के भूतपूर्व विधायक

आर्णी विधासभा निर्वाचन क्षेत्र के भूतपूर्व बीजेपी विधायक प्रा. राजू तोडसाम ने कुछ दिनों पूर्व घाटंजी तहसील कोटीशारी, ताडसावली इन नीलामी हुए रेती घाटों पर खुद भेट देकर रेती के तस्करी करनेवाले वाहनों को पकडा जाता है क्या? इन घाटों पर कार्यकर्ता समेत विधायक ने ठिया दिया था. विधायक ने इस तत्परता के पीछे राजस्व प्रणाली में अविश्वास या कुछ अलग करने की बात हो रही है. यदि विधायक वास्तव में सही इतने तत्पर होंगे, तो वे निर्वाचन क्षेत्र में चल रहें अवैध मटका-जुआ के अड्डों पर नकेल क्यों  नहीं कस रहें? ऐसा सवाल उपस्थित हों रहा है.

रालेगांव, कलंब में सर्वाधिक रेती की तस्करी

सरकार को रालेगांव, कलंब, बाभुलगाव इन तीन तहसीलों के रेती घाटों से प्रति वर्ष कम से कम चार से पांच करोड रुपयों का राजस्व मिलता है. लेकिन इस साल ‘कोरोना महामारी’ से अधिकांश घाटों की नीलामी नहीं हुई है. तो बाभुलगांव तहसील के नारगाव घाट की हाल ही में नीलामी हुई, लेकिन अभी तक वहां से कोई अधिकारिक रेती निकासी शुरू नहीं हुई है. इन तीन तहसीलों के घाटों से बडी मात्रा में रेती की अवैध तस्करी की जा रही है. सरकार को प्राप्त राजस्व तस्करों के जेब में तो समर्थन देनेवाली संबंधित सरकारी यंत्रणा की जेब में जाता है.

वर्धा-चंद्रपुर में नीलामी, लेकिन उत्खनन यवतमाल में

वर्धा जिले के हिंगणघाट तथा चंद्रपुर जिले के वरोरा में रेती घाटों की नीलामी की गई है. लेकिन इन घाटों से यवतमाल जिले के सीमा पर बसे बोरगाव, सोनेगाव, नगाजी पार्डी, रोहिट कोसारा, घोटी कोच्ची, बोरी इन गांवों में से ट्रेझर बोट द्वारा उत्खनन व तस्करी हों रही है. वना नदी से यह तस्करी की जा रही है.

वणी से उमरखेड तक हर जगह तस्करी

जिले के वणी से लेकर उमरखेड तक के सभी तहसीलों में रेत घाटों पर हों रहें रेती का उत्खनन व तस्करी पूरी राजस्व प्रणाली की कर्तव्यदक्षता पर सवाल उठा रही है. घाटों की नीलामी न होने के पिछे कोई षडयंत्र तो नहीं, ऐसी कुशंका व्यक्त की जा रही है. कुछ अधिकारी ईमानदारी से रेती घाटों पर नजरे लगाए हुए है. लेकिन उनकी संख्या नगण्य है. इस बात की कोई गारंटी नहीं कि उनके अधीनस्थ अपने कर्तव्यों को पूरी ईमानदारी से निभा पाएंगे. बताया जाता है कि रेती घाट की नीलामी में तस्कर और सरकार कानूनी मसलों का पूरा फायदा उठा रहे हैं. ऐसा कहा जा रहा है. जिससे अब अवैध रेती तस्करी पर पर अंकुश लगाने की मांग जोर पकड रही है.