किसान प्रशिक्षण में हुआ घोटाला,कृषि आयुक्त को रिकार्डों की जांच करने के निर्देश, तीन माह में मांगी रिपोर्ट

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    यवतमाल. तिलहन उत्पादन में आई गिरावट को दूर करने की दृष्टि से कृषि विभाग के अंतर्गत लागू किये जा रहे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत राष्ट्रीय अनाज एवं तिलहन कार्यक्रम में किसानों को प्रशिक्षण दिया गया, लेकिन इसमें भारी गड़बड़ी सामने आई है. सूचना आयुक्त ने राज्य के कृषि आयुक्तों को इस प्रशिक्षण के रिकॉर्ड की जांच करने का निर्देश दिए है. साथ ही तीन महीने में पूरी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के भी निर्देश दिए है.

    खाद्य सुरक्षा तिलहन कार्यक्रम संदेह के घेरे में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत पिसा हुआ अनाज और तिलहन क्रियान्वित किया जाता है. अभियान नंबर एक में सोयाबीन, मूंगफली, करडई शामिल हैं. बुनियादी बीज उत्पादन के लिए बुनियादी बीजों की खरीद, बुनियादी और अभियान में प्रमाणित बीज उत्पादन के लिए मूल बीज खरीदी करने, बुनियादी व प्रमाणित बीज उत्पादन, प्रमाणित बीजों की आपूर्ति, प्रत्याक्षिक और प्रशिक्षण के माध्यम से तकनीकी ज्ञान का प्रसार, अनुदानित दरों पर कृषि निविष्ठा, उन्नत कृषि उपकरणों की आपूर्ति और सिंचाई सुविधाओं की आपूर्ति शामिल है.

    वृक्षजन्य तिलहन फसलो में करंज, महुआ, करडई शामिल हैं, जिन्हें इन फसलों के संवर्धन के लिए पानलोट और बंजर भूमि पर लगाने और देखभाल रखने की उम्मीद है. इनमें क्षेत्र का विस्तार, नर्सरी का निर्माण, रोपण के बाद दूसरे वर्ष से फलने तक रखरखाव, तकनीकी ज्ञान का प्रसार और फ्लेग्जीफंड आदि शामिल हैं.

    इन अभियानों में बीज मिनीकिट की आपूर्ति की जाती है. मिलता है अनुदान किसान स्तर पर नई किस्म के प्रसार की दृष्टि से खेत पर तुलनात्मक परीक्षण के लिए 8 किलो सोयाबीन, 20 किलो मूंगफली, 2 किलो सरसों, करडई ,1 किलो तिल प्रदान किए जाते हैं. मूल बीजों की खरीद में, आईसीएआर द्वारा निर्धारित दर पर पिछले दस वर्षों से राज्य को अधिसूचित उन्नत और संकरित किस्मों के मूल बीजों की खरीद के लिए अनुदान के रूप में पूरी राशि का भुगतान किया जाता है. बुनियादी बीज उत्पादन के लिए खरीदे गए बीज का उपयोग करना अनिवार्य हैं.

    इसका लाभ कृषि विद्यापीठ, महाबीज, केवीके, शेतकरी उत्पादक कंपनी, शेतकरी गट और कृषि विज्ञान मंडलों को देय है. गट गट प्रत्याशी में प्रत्यक्षिक में निवीष्ठा आपूर्ति करने के लिए सोयाबीन को 6,000 रुपये प्रति हेक्टेयर करडई को 3,000 रुपये प्रति हेक्टेयर और मूंगफली को 10,000 रुपये प्रति हेक्टेयर का भुगतान किया जाता है.

    प्रत्येक कृषि विद्यालय के लिए आईपीएम किसान खेतीशाला में उक्त प्रति खेती साला के लिए 14000 रुपये ,30 किसानों के दो दिन के प्रशिक्षण पर 24 हजार रुपये और 20 कर्मचारियों के प्रशिक्षण पर 36 हजार रुपये खर्च करने का प्रावधान है. प्रशिक्षण पर खर्च हुई रकम की जानकारी नहीं दी इस संदर्भ में कृषि विभाग से प्रशिक्षण पर खर्च हुई रकम की जानकारी मांगी गई थी लेकिन यह जानकारी जिला कृषि अधीक्षक कार्यालय द्वारा नहीं दी गई थी, इसलिए राज्य सूचना आयुक्त संभाजी सरकुंडे के पास शिकायत की गई थी.

    आयुक्त ने इस मामले में 24 सितंबर 2020 को फैसला सुनाया है. इसमें उन्होंने प्रशिक्षण की जानकारी उपलब्ध नहीं कराने पर नाराजगी जताई है. आवेदक ने धारा 19/1 के तहत अपील दायर की थी. हालांकि, 23 मार्च, 2018 को एक आदेश पारित किया गया था जिसमें कहा गया था कि मामला कृषि अधीक्षक के कार्यालय में उपलब्ध नहीं था और यह मामला कृषि अधिकारी कार्यालय के पास आगे की कार्रवाई के लिए दिया गया है इसलिए अपील का निपटारा किया गया.

    30 मई 2018 को आयोग के पास अपील दायर की गई थी, इसलिए आयुक्त सरकुंडे ने कार्रवाई का आदेश दिया. अधिनियम की धारा 7(1) के तहत प्रतिवादियों को नोटिस देकर तथा कारण बताओ नोटिस देकर तथा 19 एक के उल्लंघन के मामले में स्पष्टीकरण मांगे गए थे 24 सितंबर को हुई ऑनलाइन सभा में अपील करने वालों ने उक्त योजना ही लागू नहीं होने की बात कही इस समय प्रतिवादियों की ओर से कोई भी स्पष्टीकरण नहीं किया गया इसलिए आयुक्त सरकुंडे ने प्रशिक्षण रिपोर्ट की जांच करने के आदेश दिए.

    कोरोना के कारण आदेश जारी करने में विलंब राज्य के सूचना आयुक्त ने किसान प्रशिक्षण प्रकरण में 24 सितंबर 2020 को आदेश दिया था, लेकिन वास्तव में यह आदेश पांच-छह दिन पूर्व जुलाई 2021 में जारी किया गया हैं. इसमें अधिनियम की धारा 19 (8) (क ) और 25 (5) के तहत कृषि आयुक्त को विशेष जांच के आदेश दिए गए हैं. खासबात यह है कि कोरोना के कारण आदेश जारी करने में विलंब हुआ है.

    फौजदारी कार्रवाई करने की चेतावनी प्रस्तावित योजना के संबंध में सभी रिकार्डो की जांच कर योजना को लागू किया गया है या नहीं, इसकी जांच कर रिपोर्ट मांगी गई है. इसके तहत दोषियों की जवाबदारी निश्चित करने तथा तीन माह के भीतर अनुपालन रिपोर्ट देने को कहा गया है. निर्धारित समय के भीतर अनुपालन करने में लापरवाही या टालमटोल की गई तो भादवी की धारा 166 के तहत फौजदारी कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई है.