शौक के लिए मेहनत कर अंकुश बना फिल्म दिग्दर्शक

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आर्णी. शौक के लिए समय मिला तो सफलता की उचाई पर पहुचा जा सकता है. शौक के लिए मेहनत और हमेशा के प्रयास से कोई भी सफलता से वंचित नही रहे सहकता, यह साबीत कर दिखाया अंकुश प्रशांत मोरे इस 23 वर्षीय युवक ने. आर्णी तहसील के शेलू अंजनखेड का निवासी अंकुश मोरे है. उसके दादा पुलिस विभाग में सहाय्यक पुलिस निरीक्षक पद पर कार्यरत थे, उन्हे नोकरी के लिए गाव छोडना पडा. उसके परिवार में दादा  कृष्णराव, पिता प्रशांत, माता अर्चना, बहन सताक्षी और अंकुश एकसाथ रहते है. अंकुश के पिता गारमेंट का दुकान संभालकर परिवार की परवरीश करते है. अंकुश बचपन से ही अपने शौक के लिए प्रयासरत था. 

शिक्षा से अधिक उसे चित्रकला, हस्तकला में रूचि थी. उसकी प्राथमिक शिक्षा सेंटपॉल हायस्कूल नागपुर, उच्च माध्यमिक शिक्षा मेजर हेमंत जकाते विद्यानिकेतन में संगणकशास्त्र में हुई. पदवी की शिक्षा थेटर अॅण्ड स्टेज ग्राफिक्स विषय लेकर व्हिएमव्ही कॉलेज नागपूर में लेने के बाद वह उच्च शिक्षा के लिए मुंबई गया. यहा इंटरटेंमेंट मिडीया अॅण्ड अॅडवरटाजींग सेट विषय में शिक्षा ली. इसी दौरान उसकी पहचान फिल्म दिग्दर्शक अनिल पालकर, आकांश साखरकर से हुई. ग्रामीण क्षेत्र के युवक शहर में आकर अच्छा काम करने से उन्होने अंकुश को स्टेज सजाने का काम दिया. साथ में शिक्षा शुरू होने से मिला वह काम अंकुश करने लगा. उसके सुझाव दिग्दर्शक अनिल पालकर को पसंद आने लगे. उन्होने अंकुश को सहाय्यक के रूप में काम करने का अवसर दिया. उनके साथ उसने दो से तीन वर्ष काम किया. इसी दौरान उसने स्वयं फिल्म का  दिग्दर्शन करने का  निर्णय लिया. 

प्रथम ‘साथ तुझा भेटला’ यह फिल्म 27 सितंबर 2019 को प्रदर्शित की. इसके बाद भोजपुरी फिल्म, मराठी, हिंदी टिवी पर सिरीयल के लिए काम किया. दिग्दर्शक केदार शिंदे के साथ सुखी माणसाचा सदरा यह नई टीवी सिरीयल में सहायक दिग्दर्शक के रूप में काम कर रहा है. यह सिरीयल 25 अक्तूबर से कलर्स मराठी पर प्रसारीत होगी. अंकुश ने कुल सात फिल्म प्रदर्शित की है. मातृत्व यह मराठी फिल का शुटींग कोरोना लॉकडाऊन की वजह से रूका है. अंकुश ने 10वीं में  गोलमाल यह फिल्म देखी और उसमें फिल्म बनाने का दृश्य देख फिल्म बनाने का मन बना लिया. यह ईच्छा पुर्ण होगी या नही यह उसे नही पता था. माता पिता का विरोध होने के बावजुद उसने अपना करिअर शिक्षा लेने की उम्र में पुर्ण किया. इसके लिए उसे कई समस्याओं का सामना करना पडा. अपनी सफलता का श्रेय वह दादा, माता, पिता, अध्यापकों को देता है.