महामारी में हजारों नागरिकों को भोजन कराया, अनुदान के लिए दो माह का इंतजार  प्लेटों की संख्या बढ़ी, पांच नए केंद्र स्वीकृत, भोजन का नया समय

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    यवतमाल. राज्य सरकार के सत्ता में आते ही शिवभोजन की थाली देने का फैसला किया. खाना दस रुपये में परोसा जा रहा था. लॉकडाउन में यह पूरा रेट जीरो हो गया था. तब से प्लेटों की संख्या में वृद्धि हुई है.

    भूखे को खाना, जरूरतमंदों को भरपूर सहारा दिया. नतीजतन, रोजगार न होने पर भी पेट का सहारा स्थायी हो गया. नागरिकों को राहत मिली है. जिले में ऐसे 21 केंद्र शुरू किए गए थे. इन केंद्रों पर 3375 नागरिक भोजन का लाभ उठा रहे हैं. इन केंद्रों पर जहां जरूरतमंदों को भोजन मिल रहा है, इन केंद्रों पर चलानेवाले केंद्रचालक लेकिन दिक्कते में आ गए है. इन केंद्र चालकों को अनुदान प्राप्त एक से दो महीने तक इंतजार करना पड रहा है. कुछ केंद्र महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा चलाए जाते हैं. उनके पास आर्थिक आय का कोई जरिया नहीं है. इसके अलावा अन्य संस्थानों को भी दो माह के इंतजार से परेशानी हो रही है. यदि इन केंद्रों को समय पर अनुदान मिल जाता है तो निश्चित रूप से केंद्रों को चलाना आसान हो जाएगा.

    50 रुपये प्रति प्लेट का अनुदान

    शिव भोज की थाली के लिए वर्तमान में निःशुल्क उपलब्ध है. नतीजतन, प्लेट अनुदान 50 रुपये तक चला गया है. अगर इस व्यंजन के लिए पांच या दस रुपये का शुल्क लिया जाता है, तो अनुदान 40 से 45 रुपये होगा. थाली का मेनू भी तय है. इसी के तहत थाली का अनुदान भी तय किया गया है.

    शिवभोजन थाली ने कईयों को आधार दिया. विशेष रूप से तालाबंदी के दौरान अपना रोजगार गंवानेवाले नागरिकों को भोजन का लाभ हुआ है. गरीबों, बेसहारा लोगों को एक समय एक समय का भोजन निःशुल्क मिलता था. नतीजतन, ग्रीष्म के मौसम के दौरान प्लेटों की संख्या में वृद्धि हुई. -प्लेटों की संख्या बढ़ने से उसका अनुदान मिलने में देरी हो रही है. महिला बचत समूह और कुछ अन्य समूहों ने इस शिव भोजन केंद्र को चलाने के लिए लिया है. इंतजार के चलते उन्हें आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

    स्कूटिनी बिल बनाते समय

    हर 15 दिन में शिवभोजन केंद्र पर भोजन की रिपोर्ट प्राप्त होती है. प्राप्त रिपोर्ट की स्कुटिनी से की जाती है. जिसके पश्चात बिल अदा किया जाता है. बिल जारी करते समय हर पहलू की जांच की जाती है. इससे कई बार बिल में देरी हो जाती है. हालांकि, ज्यादातर बिल समय पर चलते हैं. 

    – सुधाकर पवार, जिला आपूर्ति अधिकारी

    केंद्र संचालक का कहना है…

    दो से तीन महीने से अनुदान रुका हुआ है. समय पर अनुदान मिलने से केंद्र चलाने में काफी मदद मिलेगी. इसे ध्यान में रखते हुए तत्काल बिल का भुगतान किया जाए. इससे समस्याओं से बचा जा सकेगा.

    -विकास क्षीरसागरी

    हमारा केंद्र है हनुमान आखाडा चौक में है. शिव भोज थाली के लिए यहां बड़ी संख्या में नागरिक आते हैं. इसके लिए अधिक लागत लगती है, समय पर अनुदान मिलने से दिक्कतें दूर होंगी. 

    – सुनंदा मानकरी