15 वें वित्त आयोग की निधि को महावितरण को दें, ग्राम पंचायत वित्तीय संकट में

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    वणी.कोरोना महामारी ने विकास कार्यों की गुणवत्ता को गिरा दिया है. जहां उम्मीद की जा रही है कि अनलॉक के बाद कम से कम विकास कार्यों में तेजी आएगी, वहीं सरकार की बयानबाजी की पोल खुल रही है. सरकार ने जल्दबाजी में बांटी गई विकास राशि को इकट्ठा कर अपने खजाने में वापस करने की नीति अपनाई है. इसके लिए ग्राम पंचायत को अभी आदेश दिया गया है की,15वें वित्त आयोग से मिली राशि को अब  ग्राम पंचायतों को  महावितरन को देना  होगा.

    15वें केंद्रीय वित्त आयोग के तहत राज्य की ग्राम पंचायतों को दो अनुदान अनटाइड आणि बंधित टाइड के रूप में विकास राशि दी गई. विकास कार्यों की योजना बनाने का निर्णय लिया गया. इस सरकार द्वारा प्रायोजित योजना के तहत बाल कुपोषण की रोकथाम, वर्षा जल निकासी और जल भंडारण प्रबंधन, ग्राम पंचायत की सड़कों और आंतरिक सड़कों का निर्माण, रखरखाव और मरम्मत, समशान घाट के निर्माण जैसे कई महत्वपूर्ण विकास कार्य होंगे.

    हालांकि, ग्राम पंचायतें इस आदेश से निराश हो रही हैं कि प्राप्त विकास राशि को महावितरन के माध्यम से सरकार के खजाने में वापस कर दिया जाएगा. कोरोना संकट ने कई लोगों के बजट को बिघाड दिया है. काम बंद होने से रोजगार छिन गया है. परिवार का गुजारा करना मुश्किल हो गया है. लगता है ग्रामीण अर्थव्यवस्था चरमरा गई है. स्थानीय स्वराज संस्था को  को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराते हुए  कठिन परिश्रम करना पड़ता है. ग्राम पंचायत के वित्तीय संसाधनों में संकट के कारण नियोजन बिगड़ गया है.

    हर साल सामान्य फंड से होने वाले खर्च को कैसे पूरा किया जाए, इस पर दुविधा है. इस बीच, सरकार ने विकास निधि को वापस लेने की नीति अपनाई है, जिसे उसने बिजली के लिए भुगतान करने का वादा किया था.

    सौर ऊर्जा का उपयोग बढ़ाएं

    कोरोना महामारी ने सभी को आर्थिक रूप से प्रभावित किया है. योजना बनाने मे कष्ट होता है. सरकार ने आदेश में कहा गया है कि ग्राम पंचायत  जल्द से जल्द सौर ऊर्जा के उपयोग को प्राथमिकता दें, ताकि भविष्य में बिजली बिलों की राशि कम की जा सके.