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महागांव. चालु खरीफ सत्र 2020-21 यह साल किसानों के लिए आर्थिकरूप से ध्वस्त करनेवाला साबीत हुआ है. गिले अकाल के साए में किसानों के मुह में आया हुआ निवाला छीना. सभी किसानों का माल जैसे की सोयाबीन, कपास का किसानों का बडे पैमाने पर नुकसान हुआ. इसकी वजह से किसान चिंतीत है. जानलेवा स्थिति से एवं संघर्षमय परिस्थिति से किसान गुजर रहा है. मानसिक तणाव के निचे वह खेती से फसल निकालकर जमाने को खिला रहा है. लेकिन सरकार का किसान विरोधी धोरण यह किसानों के लिए बर्बाद करने पे तुला है.

महाविकास आघाडी सरकार ने किसानों का विकास साध्य करने के लिए राजकीय ईच्छाशक्ती से अभाव दिख रहा है. किसानों की दिवाली मिठी करेगे यह आश्वासन देकर सरकार ने किसानों के साथ धोखाबाजी की है. आज भी किसान सरकार के विविध लाभों से वंचित है. यह सरकार किसानों के हित में नही है. बल्की व्यापारीयों के लिए अच्छे दिन लानेवाला है. किसानों के विरोध में सरकार ने अपना मोर्चा निकाला है. अकाल में प्राप्त मदत केवल गिनेचुने किसानों को मिली है. सरकार किसान को फसा रहे है. इसके प्रति किसान संतप्त हुआ है. यवतमाल जिला यह सुके खेती के लिए जाना जाता है.

जिले की सिचाई क्षमता केवल 18.7 प्रतिशत है. जिले में कुल पौनेनऊ लाख हेक्टेयर क्षेत्र बुआई के लिए जाना जाता है. जिसमें 5 लाख हेक्टेयर पर कपास यह मुख्य फसल की बुआई होती है. सफेद सोने का जिला कहेकर पुरे विश्व में पहचान है. लॉंगस्टेपल माईक दर्जे के लिए भी विश्व में परिचित है. इसी जिले की सफेद सोने की काली कहाणी दिल दहलानेवाली है. केंद्र और राज्य के दिर्घकालीन श्वास्वस्त धोरण के अभाव का परिणाम किसानों को भुगतना पड रहा है. जिले में किसानों ने कपास की फसल अभी से समाप्त की है. अभी तक राज्य और केंद्र सरकार ने सीआई की कपास खरीदी केंद्र शुरू नही किए.

पुसद उपविभाग में यह केंद्र शुरू नही होने से किसानों की परेशानी बढी है. महागाव तहसील में एपीएमसी के माध्यम से कपास उत्पादक किसानों की पंजीयन हुआ है. यह पंजीयन 3738 है. पुसद तहसील में 3910 किसानों ने अभीतक कपास बिक्री के लिए पंजीयन किया है. केंद्र शुरू होने के लिए कृषी उपज बाजार समिति की ओर से पणन महासंघ को ज्ञापन एवं पत्र भेजे है. एजंसी तौर केंद्र शुरू करने का नियोजन करते समय प्रशासन को किसानों के रोष का सामना करना पड रहा है. पणन कानुन के तहत 34 और 94 ड के तहत कौनसे भी खेतमाल की आधारभुत मुल्य से कम मुल्य पर खरीददारी व्यवहार यह गुनाह साबीत होता है. आज नीजी कपास व्यापारीयों पर उपविभाग ने कितने मामले दर्ज हुए है. आज किसानों के घर में लाखों क्विंटल कपास पडघ हुआ है. इसके लिए सरकार का निगेटिव धोरण जिम्मेदार है.