home quarantine

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    यवतमाल. जिले में कोरोना मरीजों की संख्या में वृद्ध हो रही है. सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार 10 प्रतिशत कोरोना प्रभावित रोगियों को होम क्वारंटाइन में रखने निर्देशित किया गया है. होम क्वारंटाइन से गुजरने वाले रोगियों की ओर से कोरोना नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है. अब होम क्वांरटाइन की मंजूरी देते समय कोरोना बाधित मरीजों एक कांट्रैक्ट साइन कराया जाएगा. नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए. जिलाधिकारी अमोल येडगे ने होम क्वांटाइन मरीजों से नियमों का उल्लंघन करनेवाले मरीजों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने और नियमों का उल्लंघन करने के लिए दूसरों के खिलाफ प्रत्यक्ष कार्रवाई करने का भी आदेश दिया है.

    17 दिन रहना होगा क्वारंटाइन 

    17 दिनों की क्वारंटाइन अवधि का पालन अधिक प्रभावी है. क्वारंटाइन का अवधि रोगी के संपर्क के अंतिम दिन से धरा जाता है. इस अवधि के दौरान मरीजों को अन्य लोगों (घर के अंदर और बाहर) के संपर्क में नहीं आना चाहिए. इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि आपके कपड़े, रूमाल, तौलिया, रुमाल का इस्तेमाल कपड़े धोने के सीधे संपर्क में न आए. 

    2 लोगों के बीच 5-6 फीट की दूरी रखना बहुत प्रभावी है. संक्रमित रोगियों को मास्क पहनना चाहिए. हर एक से दो घंटे में हाथ और साबुन या पानी से अच्छी तरह धोए. खांसते या छींकते समय नाक और मुंह के ऊपर रूमाल या टिशू पेपर रखें. दिन में दो बार सुबह और शाम को, आक्सीजन स्तर को मापे, बुखार जांचे और डाक्टर को सूचित करें. 

    परेशानी होने पर चिकित्सक को जानकारी दें

    चिकित्सक को प्रकृति में होने वाले परिवर्तनों और बुखार, सांस लेने में कठिनाई के बारे में तुरंत सूचित किया जाना चाहिए. अपनी खुद की पल्स आक्सीमीटर और थर्मामीटर का उपयोग करें. चिकित्सा अधिकारियों के सलाह पर देखभाल करने वालों और सभी करीबी संपर्कों को प्रोटोकॉल के अनुसार हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन ले. रोगी के कमरे का दरवाजा अंदर से बंद नहीं होना चाहिए. बाथरूम में प्रवेश करते समय, दरवाजे को अंदर से बंद न करें.

    रोगी को स्वयं या परिवार के सदस्यों द्वारा आवश्यकताओं जैसे कि सब्जियां, किराने का सामान, दूध आदि लाने के लिए नहीं जाना चाहिए. बेघर व्यक्ति को पास में देखभाल करने वाला रखना अनिवार्य है. गंभीर चिकित्सा लक्षण जैसे सांस की तकलीफ, सांस लेने में रुकावट, आक्सीजन संतृप्ति में कमी, लगातार सीने में दर्द, दर्द, भ्रम, चेतना की हानि, झटके, हाथों या पैरों में कमजोरी या सुन्नता, चेहरे नीला पना जैसे लक्षण. दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति से उत्पन्न जैव-चिकित्सा अपशिष्ट को अलग रखा जाना चाहिए.