यवतमाल. प्रदेश में छात्रावास के कर्मचारी वेतनमान से वंचित हैं. इस पर विचार करने मंत्रालय में बैठक ली गई. इस बैठक में संगठन के पदाधिकारी मौजूद थे, किंतु इनका आरोप है कि बैठक में बोलने नहीं दिया गया. हाल ही में राज्य में अनुदानित छात्रावास कर्मचारियों के वेतनमान को लेकर न्याय व विशेष सहायता मंत्री, राज्यमंत्री व वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में उपमुख्यमंत्री कार्यालय में बैठक हुई. बैठक में कर्मचारी संघ के अध्यक्ष मारुती कांबले व सचिव अशोक ठाकर भी मौजूद थे. संगठन के पदाधिकारियों पर भारी दबाव था.
मानधन की उठाई गई मांग
संगठन की ओर से वेतनमान नहीं मानधन की एकतरफा मांग उठाई गई है. हर सरकार, सामाजिक न्याय विभाग और संबंधित मंत्री ने कम वेतन वाले कर्मचारियों को उनके अल्प पारिश्रमिक में वृद्धि करके लामबंद किया है.
वेतनमान पर निर्णय लिए बिना छात्रावास अधीक्षक का मानधन 1,200 रुपए की बजाय 10,000 रुपए, रसोइया को 6,900 रुपये की बजाय 8,500 रुपये और सहायिकाओं को 5,750 रुपए की बजाय 7,500 रुपए का निर्णय लिया गया.
कर्मचारियों में असंतोष
लड़कियों के लिए 578 छात्रावास व लड़कों के लिए 1810 छात्रावास पिछले कई वर्षों से छात्रावास के कर्मचारी उच्च वेतनमान के लिए संघर्ष कर रहे हैं. प्रदेश के 2388 छात्रावासों के कर्मचारी वेतन वृद्धि से वंचित हैं.
8,000 कर्मियों पर संकट
प्रदेश में इस समय 8,104 कर्मचारी कार्यरत हैं. इसमें लड़कियों के लिए 578 छात्रावास और लड़कों के लिए 1810 छात्रावास हैं. कर्मचारियों को दासता का जीवन जीना पड़ता है. उन्हें वेतनमान की जगह अल्प मानधन पर गुजारा करना पड़ रहा है. कार्याध्यक्ष प्रदीप वाकजन ने कहा कि अब संगठन फिर से आंदोलन करेगा.