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  • प्रत्येक वन क्षेत्र में संक्रमण उपचार केंद्र, सौर कंपाउंड देने का निर्णय लेंगे

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यवतमाल. बाघ का अस्तित्व रहनेवाले जंगल सबसे समृद्ध एवं परिपूर्ण जंगल समझे जाते है. बाघों के लिए न केवल बाघों के लिए न केवल मुख्य क्षेत्र महत्वपूर्ण है, बल्कि उनके घूमने वाले प्रक्षेपवक्र को बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है. लेकिन विकास के नाम पर, अक्सर सड़कों या प्रोजेक्ट बनाते समय जंगल में  बाघ की भटकन बाधित होती है. वन मंत्री संजय राठौर ने चेतावनी दी है कि बाघों के आवागमन में बाधा डालने वाले विभागों और उनके अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

बोर अभयारण्य में पुनर्निर्मित नवारगांव का निरीक्षण करने और बोर टाइगर रिजर्व का दौरा करने के बाद, वन विभाग के पुराने नवरगांव विश्राम गृह में अधिकारियों की एक बैठक हुई, जिस दौरान राठोड बोल रहे थे. उन्होंने कार्य योजना, नवीन परियोजनाओं और आगे की चुनौतियों पर वन, वन्यजीव और सामाजिक वानिकी के तीन विभागों के अधिकारियों के साथ गहन चर्चा की.

मानव-वन्यजीव संघर्ष दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. उन्होंने वन विभाग के अधिकारी से चर्चा की कि इस संघर्ष को कैसे कम किया जाए. बोर टाइगर रिजर्व के मुख्य क्षेत्र में नवरगांव एकमात्र गांव है और एक आदर्श पुनर्वास से गुज़रा है. हालांकि, कोर क्षेत्र से सटे 22 गांवों के पुनर्वास की मांग है. उन्होंने विचार व्यक्त किया कि इन गांवों के पुनर्वास से समस्या का समाधान नहीं होगा. इसके लिए, गांवों और खेतों तक सौर कपांउड लगाकर मानव और वन्यजीव क्षति को रोकने के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है. उन्होंने कहा कि वह रणनीतिक निर्णय लेने के लिए मंत्रिमंडल के समक्ष रखेंगे.

यदि बोर परियोजना में महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम के रिसॉर्ट और अप्रयुक्त भवनों को एफडीसीएम में स्थानांतरित किया जाता है, तो उन्हें उचित देखभाल के साथ अच्छे उपयोग के लिए रखा जा सकता है. इस संबंध में, उन्होंने कहा कि वह पर्यटन मंत्री के साथ व्यक्तिगत रूप से इस मुद्दे पर चर्चा कर उसका हल निकालेंगे. प्रत्येक वन क्षेत्र में घायल वन्यजीवों के लिए एक संक्रमण उपचार केंद्र होना चाहिए. इससे पशुओं के जीवन को तत्काल उपचार प्रदान करके बचाया जा सकता है. राठोड ने यह भी कहा कि हम इस तरह का केंद्र शुरू करने के लिए एक रणनीतिक निर्णय लेंगे.

बोर टाइगर प्रोजेक्ट के मुख्य क्षेत्र में नवरगांव का पुनर्वास एक आदर्श पुनर्वास रहा है और इस विभाग के मंत्री के रूप में, उन्होंने वन विभाग के पुनर्वास कार्य की सराहना की और कहा कि उन्हें इस तरह के काम पर गर्व है. उन्होंने ग्रामीणों के साथ पुनर्वास पर चर्चा की और उनके विचार जान लिए. इस पर ग्रामीणों ने संतोष व्यक्त किया.

इस समय  मुख्य वन संरक्षक और क्षेत्र निदेशक, पेंच टाइगर प्रोजेक्ट के डा. रविकिरण गोवेकर,  मुख्य वन संरक्षक, नागपुर के पी. कल्याणकुमार,  सामाजिक वानिकी के संरक्षक, नागपुर के मानकर,  वन संरक्षक, वर्धा के सुनील शर्मा,  वर्धा सामाजिक वनीकरण के संरक्षक जोशी, नागपुर वन्यजीव बोर अभयारण्य के विभागीय वनाधिकारी आर.बी. गवई तथा वन विभाग अन्य अधिकारी मौजूद थे.