जिम्मी ने बनाई आदिवासी जीवनशैली की कलाकृती

  • अखबार और वॉटर कलर का किया उपयोग

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यवतमाल. देखतेही आकर्षित करनेवाली आदिवासी जीवनशैली की कागज की मुर्ति चर्चा का विषय बनी है. यवतमाल के  जिम्मी सुबोध वालके यह कक्षा 10वीं उत्तीर्ण छात्र अखबार और वॉटर कलर का उपयोग कर सुरेख मुर्तीयां निर्माण करता है. कलावंत परिवार का जिम्मी यह लॉकडाउन काल में आदिवासी वारली चित्रकला से  कलाकृती निर्माण करने की इच्छा व्यक्त की. घर में ही आसानी से कम खर्च में  जिम्मी ने घर की रद्दी का इस्तेमाल किया. जिसमें उसने वॉटर कलर से कलरींग किया. और निर्माण हुई सुरेख एवं आकर्षक आदिवासी जीवनशैली का परिचय करानेवाली कलाकृती.

‘हमारी संस्कृती, हमारा अभिमान,… मै आदिवासी…, मेरा स्वाभिमान’ ऐसी परंपरा प्राप्त आदिवासी कला काफी दुर तक पहुची है. वारली चित्रकला यह महाराष्ट्र के  कोकण विभाग की  वारली इस  आदिवासी जमात की चित्रशैली है. डहाणू और पालघर जिले के  परिसर में रहनेवाली वारली जनजाति की यह चित्र दुनिया में प्रख्यात है. जिम्मी वालके ने वारली पेंटिंग दे कुछ नया करने की प्रेरणा ली. अखबार और वॉटर कलर का  उपयोग कर उसने कागज की कलाकृति को आकार दिया.