प्रतीकात्मक तस्वीर
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    यवतमाल. कृषि उपज मंडी समिति बंद होने से रोजाना करीब 2-3 हजार क्विंटल की आवक थम गई है. सोयाबीन, अरहर व चना उत्पादकों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. केंद्र सरकार की ओर से स्टॉक लिमिट को लागू करने से व्यापारियों में रोष नजर आ रहा है, जिसके चलते कारोबार बंद कर दिया है. जिसके चलते एपीएमसी का यार्ड 3 दिनों से सूना पड़ा है.

    सीजन के दौरान 20,000 क्विंटल से अधिक अनाज की खरीद की जाती है, किंतु ऑफ सीजन है. जिसके कारण घटकर 2 से 3,000 क्विंटल रह गया है. विदर्भ में विशेष रूप से जिले में तिलहन और दालहन का उत्पादन अधिक होता है. यहां सोयाबीन, अरहर और चना का भी निर्यात किया जाता है. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तर प्रदेश के व्यापारियों को अनाज का निर्यात किया जाता है. व्यापारी इन अनाजों को खरीदते हैं. 

    100 टन तक की सीमा तय 

    केंद्र सरकार ने एक नए फैसले की घोषणा की है. जिससे सिर्फ 100 टन की स्टॉक सीमा लगाई. व्यापारी सभी प्रकार के अनाज, तेल बीज मिलकर 100 टन से अधिक मात्रा में खरीदी करता है. उनके पास हमेशा सैकड़ों टन अनाज होता है. जिसमें सभी प्रकार के अनाज और तिलहन शामिल हैं.

    इसके अलावा अनाज समय-समय पर बेचे जाते हैं. उनका व्यापार चक्र भी उचित गति से आगे बढ़ता है. केंद्र सरकार के स्टॉक लिमिट के फैसले से सिलसिला बाधित हुआ है. दलाल और खरीदारों ने व्यापार करना बंद कर दिया है. जिससे एपीएमसी में लेनदेन पर ब्रेक लग गया है.

    किसानों का हो रहा भारी नुकसान

    स्टॉक की सीमा ने कीमतों को नीचे गिर गए है. किसान भी प्रभावित हुए हैं. कीमतों में गिरावट के कारण सोयाबीन, चना और अरहर उत्पादकों ने नहीं बेचने का फैसला किया. स्टॉक लिमिट का फैसला व्यापारियों के साथ-साथ किसानों के लिए भी हानिकारक रहा है.