डॉक्टरों ने किया कोरोना पेशेंट को मरा हुआ घोषित, बेटा लगा रोने तो मृत व्यक्ति ने खोली आंखें

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    यवतमाल. जरा सोचिए कि अगर डॉक्टर ने किसी को मृत घोषित कर दिया और उसके परिजनों को यह सुचना दे दी गई। फिर मृतक को देखने के बाद पता चले कि इसकी सांसें चल रही हैं और दिल भी धड़क रहा है तो इसे क्या कहा जाएगा।  यवतमाल के सरकारी अस्पताल से ऐसा ही एक मामला सामने आया है।  

    दरअसल बाबूलगांव तालुका के देवेंद्र ज्ञानेश्वर कवनकर (Devendra Dnyaneshwar Kavankar) के पिता कोरोना से संक्रमित थे। उन्हें इलाज के लिए 30 अप्रैल के दिन एक सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां डॉक्टरों पर बड़ी लापरवाही देखने को मिली। निमोनिया के लक्षण और कम ऑक्सीजन के स्तर के चलते डॉक्टरों ने कोरोना टेस्ट करने को कहा। टेस्ट की रिपोर्ट अभी आने की ही थी कि,  देवेंद्र के पिता की हालत और बिगड़ गई। डॉक्टरों ने उन्हें कोविड वार्ड में भर्ती कर दिया। इस बीच अस्पताल के कर्मचारियों ने देवेंद्र को सुचना दी की आपके पिता की मृत्यु हो गई है।

    मृत्यु की सूचना मिलते ही देवेंद्र पिता के पास पंहुचा। वह अपने पिता को खोने के गम बरदाश नहीं कर पाया और जोर-जोर से रोने लगा। बेटे की आवाज़ सुनकर पिता ने आँखें खोल दी। उसे पता चला की पिता जीवित है और उन्हें ऑक्सीजन मास्क लगाकर बिस्तर पर इलाज चल रहा है। डॉक्टरों के लापरवाही के चलते कुछ समय के लिए तनाव का माहौल बन गया था। देवेंद्र और कमरे में मौजूद हर कोई इस कारनामे को देखकर दंग रह गया।  

    डॉक्टर की गलत सूचना देने के चलते परिवार वालों को जोरदार धक्का लगा है। इस घटना के उजागर होने पर चिकित्सक अधिकारों की उपेक्षा हो रही है। जानकारी है कि पहले भी डाक्टरों की लापरवाही देखी गई है।