india corona
File Photo

    Loading

    मारेगांव. मारेगांव तहसील में टीकाकरण पूरी क्षमता से चल रहा है. अब तक तहसील में लगभग 11,500 लोगों को टीका लगाया जा चुका है. स्वास्थ्य अधिकारी अर्चना देठे ने कहा है कि  मारेगांव तहसील आदिवासी बहुल है. कई गांवों में टीकाकरण को लेकर तरह-तरह की भ्रांतियां हैं. तस्वीर यह है कि फिर भी टीकाकरण किया जा रहा है.

    तहसील में कुल 11423 नागरिकों को टीका लगाया गया है. जनता की सेवा करने वाले फ्रंटलाइन कार्यकर्ता ने 643 लोगों को पहली खुराक दी और दूसरी खुराक 444 लोगों को दी. पहली खुराक 323 स्वास्थ्य कर्मियों को और दूसरी खुराक 224 स्वास्थ्य कर्मियों को दी गई. टीकाकरण को लेकर बार-बार जन जागरूकता के बावजूद कई लोगों के मन में अभी भी संशय बना है.

    जिसके चलते कई लोग टीका लेने से डर रहे हैं. इतना ही नहीं कई गांवों में तो स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों को टीका लगाने से रोका जा रहा है, यहां तक की गांव में प्रवेश बंदी तक कर दी गई है.

    तहसील में 3,104 नागरिकों को पहली खुराक

    पढ़े-लिखे गांवों में भी यही स्थिति थी. आदिवासी और पोड में वास्तव क्या था इसका अंदाजा हर कोई लगा पाएगा. तहसील के 60 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों में से तीन हजार 74 नागरिकों को पहली खुराक दी गई है, जबकि 539 नागरिकों को दूसरी खुराक दी गई है. 45 से 60 वर्ष की आयु के नागरिकों में से 3104 नागरिकों को पहली खुराक और 823 नागरिकों को दूसरी खुराक दी गई है.

    अब जब 18 से 45 वर्ष के बीच के लोगों के लिए टीकाकरण शुरू हो गया है, तो टीकाकरण की गति बढ़ गई है. हम जल्द ही लक्ष्य को पूरा करने में सक्षम होंगे. कई गांवों में टीकाकरण को लेकर तरह-तरह की शंकाएं व्यक्त की जा रही थीं. तहसील के चिंचमंडल में एक टीकाकरण शिविर का आयोजन किया गया. इस समय इस गांव में सिर्फ 20 नागरिकों को ही टीका लगाया गया था.

    इनमें से 15 कोसारा और सवांगी के थे. लगभग 2,000 की आबादी वाले चिंचमंडल गांव के केवल 5 नागरिकों को ही टीका लगाया गया था, फिर दूसरे शिविर के समय 127 नागरिकों को टीका लगाया गया. 

    शुरुआत में कई गांवों में टीकाकरण शिविर लगाए गए, किंतु ऐसा नहीं हुआ.आदिवासी क्षेत्र में स्थिति अलग थी. ग्रामीणों ने टीम को तहसील के हिवरी और अर्जुनी गांवों में प्रवेश करने से रोक दिया था. समझाने के बाद भी वह नहीं सुन रहे थे. साथ ही पोडो में लोग टीकाकरण के लिए तैयार नहीं थे.

    इस आदिवासी समुदाय के लोगों में टीकाकरण को लेकर तरह-तरह की शंकाएं थीं. कुछ लोगों का कहना है कि टीकाकरण से कोरोना होता है. लोगों के डर से टीकाकरण में बाधा आती थी. टीकाकरण की सुविधा के लिए, टीका उपलब्ध होने के बाद प्रतिदिन 2 गांवों में टीकाकरण किया जाता था. अब 18 से 45 वर्ष के आयु वर्ग में टीकाकरण की शुरुआत के साथ, टीकाकरण को गति मिलेगी. ऐसा मत अर्चना देठे ने व्यक्त किया.