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यवतमाल. ग्राम पंचायत चुनाव प्रचार समाप्त होते हैं, गांवों में मतदाताओं के बीच एक गर्म बहस हो रही है. गाँव स्तर की चुनाव समूह की राजनीति को हमेशा देखा जाता है.उम्मीदवार के व्यक्तिगत जनसंपर्क को महत्वपूर्ण माना जाता है.जिले में चल रहे चुनावों में सैकड़ों उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.यह उल्लेखनीय है कि कई गांवों में, मतदान के दिन जैसे-जैसे आते हैं, अफवाहें फैलती हैं, आज  सभी के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन है, हालांकि कई युवाओं ने गुप्त रूप से एक रणनीति तैयार की है.

यवतमाल जिले में, 2 महीने के बच्चे के साथ एक महिला भी ग्राम पंचायत के लिए मैदान में है.इसका परिणाम आने वाले दिनों में दिखेगा 15 से 20 वर्षों तक राजनीति में होने के बावजूद, मतदाता उस उम्मीदवार से असंतुष्ट हैं जो दोबारा चुनाव के लिए जा रहा है.नई पीढ़ी के उम्मीदवारों का चुनाव किया जाना चाहिए और उन्हें लोकतंत्र में भी भाग लेना चाहिए.

पालक मंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में ग्रा. पं. का प्रतिष्ठित चुनाव

यवतमाल के जिला पालक मंत्री  संजय राठोड के निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव अब प्रतिष्ठा का विषय बन गया है.ग्रां.पं.चुनाव मे अपना कब्जा करने के लीए भाजपा के संजय देशमुख कडा प्रयास कर रहे  है, इसलिए यह चुनाव मंत्री राठोड के लिए प्रतिष्ठा बन गयी है.

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यही समय में असली कीमत

यवतमाल के विधायक मदन येरावार के निर्वाचन क्षेत्र में अधिकांश ग्राम पंचायत चुनाव भाजपा-उन्मुख प्रतीत होते हैं, लेकिन किसी भी परिस्थिति में शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों को हराने की मंशा  है.

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विकास के मुद्दों के लिए मतदाताओं की प्राथमिकता

उन गांवों में सत्ताधारी पार्टी के लिए चुनाव आसान होगा जहां अतीत में सत्ता पक्ष द्वारा किया गया विकास कार्य मजबूत है, लेकिन जिन्होंने कुछ नहीं किया है उन्हें इस चुनाव में हारना होगा.युवा वर्ग लोकतंत्र को मजबुत करने मे जुटा है.