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यवतमाल. हरवर्ष राज्य सरकार द्वारा राज्य में पौधे लगाने की योजना चलाई जाती है. 50 करोड पौधे चार वर्ष ममें लगाने का दावा पिछली सरकार ने किया लेकिन इसबार यह योजना कोरोना की वजह से स्थगित करनी पडी. राज्य की महाविकास आघाडी सरकार में  वनमंत्री संजय राठोड है, उन्होने तयार की नई पौधारोपण योजना का प्लॅन फिलहाल दिक्कतों से घिरा हुआ है. सच यह है कि  कोरोना के लॉकडाउन में इसबार वन विभाग द्वारा पौधारोपण का नियोजन नही किया गया है. इसलिए जनता इसबार की बारीश में स्वयंस्फूर्ति से आगे आकर पौधे लगाए और उसके संरक्षण की जिम्मेदारी लेने की जरूरत है.

पर्यावरण का समतोल बनाए रखने के लिए फडणवीस सरकार के काल में राज्य सरकार द्वारा तीन दोर में पौधारोपण योजना चलाई गई. इस पर हर वर्ष लाखों रु. खर्च किए गए. इसमें अनियमितता और गडबडी की कई शिकायतें भी हुई है. जिससे यह योजना काफी चर्चा में रही. पेड लगाए कितने, कितने जिंदा रही, ऐसे सवाल पुछे जाने से नई सरकार के  नए वनमंत्री ने यह योजना नए नाम से नए  प्लॅन समेत शुरू रखने के लिए  नियोजन किया था. लेकिन कोरोना लॉकडाउन की वजह से यह नियोजन पूर्ण नही हो पाया. स्व वसंतराव नाईक की जयंति अर्थात 1 जुलाई को उनके ही नाम से नई पौधारोपण योजना अस्तित्व में आनेवाली थी. लेकिन इसे ग्रहन लग गया. रास्तों के काम के लिए हरेभरे पेड काटे गए है. 

गत तीन माह से संपूर्ण देश कोरोना विषाणू पर मात करने के लिए लढ रहा है. अधिकारी, कर्मचारी इस बिमारी पर प्रतिबंध लगाने के लिए दिनरात युध्दस्तर पर प्रयास कर रहे है. इसबार सरकारी यंत्रणा कोरोना संकट से मुकाबला करने में व्यस्त होने से राज्य सरकार द्वारा पौधारोपन योजना पर कम खर्च करने की फिराक में होने की जानकारी है. जिला स्तर पर पौधारोपन का नियोजन नही किया गया. राज्य सरकार ने 2016 में 50 करोड पेड लगाने की योजना घोषीत की. इसमें 1 से 31 जुलाई तक यह मुहिम चलाई गई. सामाजिक वनीकरण विभाग, जिला परिषद, राजस्व विभाग, परिवहन विभाग, कृषी विभाग आदी कई सरकारी विभाग तथा शाला, महाविद्यालय, सामाजिक संगठन के माध्यम से पौधारोपन मुहिम सफल होने की बात कही गई. इसमें लगभग 80 फिसदी पौधे जिंदा होने बात कही जा रही है. इन आकडों से कईयों के मन सें संदेह है. लेकिन पौधारोपण इमानदारी से करने के लिए नागरिक तयार है.  सरकार ने भी यह योजना इमानदारी से चलानी चाहिए ऐसी उम्मीद व्यक्त की जा रही है.