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पुसद. एक प्रतिष्ठित स्कूल में दाखिला लेना और केवल कक्षाओं में कोचिंग लेना ही ‘जेईई’ में सफलता पाने का एकमात्र तरीका है. लेकिन श्रीरामपुर की बेटी द्वारा इस गलतफहमी को गलत साबित करके दिखाया है. इंडियन इन्स्टिट्यूट आफ टेक्नॉलाजी अर्थात आईआईटी संस्था खारगपुर में प्रवेश लेकर उसने पुसद का नाम रोशन किया है. ईच्छा और कडी मेहनत, आधुनिक तकनीक के माध्यम से  युट्यूब और केंद्र सरकार के ‘स्वयं’ ऐप का उपयोग करके,  श्रीरामपूर की समयुक्ता प्रशांत कागदेलवार इस छात्रा ने आत्म-अध्ययन के बल पर सफलता हासिल की है. समयुक्ता ने 11 वीं और 12 वीं कक्षा में कोई कोचिंग नहीं लगाई थी. स्व-अध्ययन के बाद, दूसरे प्रयास में उसने ‘जेईई एडवांस’ में सफलता प्राप्त की.  इसरो संलग्नित ‘आइआइएसटी’ इस संस्था में उसे तीन अंक कम होने से प्रवेश नही पा सकी. पश्चिम बंगाल की  खारगपुर स्थित ‘आईआईटी’ महाविद्यालय में  ‘ओशन इजीनियरिंग और नौसेना वास्तुकला’ इस शाखा में बी.टेक. के लिए उसे प्रवेश मिला.  ‘आईआईटी’ में प्रवेश पानेवाली वह पुसद की एकमात्र छात्र थी.

16 से 17 घंटों तक की पढाई

सुबह 4.30 बजे उठकर मेडीटेशन,योगा और प्राणायाम करने के बाद 16 से 17 घंटों तक उसने अध्ययन किया. उसने ‘आईआईटी’ से शिक्षा प्राप्त कर देश की सेवा करने का निर्णय लिया है. सभी ने उसकी सराहना की है. उसके पिता एड.प्रशांत कागदेलवार यह पुसद के जिलासत्र न्यायालय में वकील है तो माता पल्लवी गृहिणी है. इसकी बडी बहन आकांक्षा ने भी नीट की पढाई की है. वह चिकित्सा में प्रवेश पाने की उम्मीद रखती है.

स्मार्टफोन से दूर रहकर स्मार्ट बने

मैंने अपने मन को शांत रखने के लिए कठिन अध्ययन किया है, स्मार्टफोन और सोशल मीडिया से दूर रहकर स्मार्ट बनें, यह स्मार्ट मंत्र है जो मैं छात्रों को देना चाहती हूं.