स्मृति पर्व: कल की क्रांति सत्य की खोज होगी – प्रा. सुदाम चिंचोले

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यवतमाल. महात्मा ज्योतिराव फुले को व्यापक रूप से सामाजिक क्रांति का अग्रणी माना जाता है, और भारतीय संविधान के मूर्तिकार डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने राष्ट्र निर्माण के लिए समानता, स्वतंत्रता, न्याय और भाईचारे की नींव रखी. स्मृति दिवस पर इन दो महान हस्तियों को अभिवादन करने के लिए 28 नवंबर से 6 दिसंबर तक यवतमाल में विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा स्मृति पर्व का आयोजन किया जाता है. इसके उद्घाटन अवसर पर 28 नवंबर को पहला वैचारिक मंथन हुआ.

देश में सामाजिक स्थिति में परिवर्तन हो रहा है और ओबीसी को एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. जबकि यह समझने की आवश्यकता है कि आरक्षण का मुद्दा क्या है, बड़ा सवाल यह है कि क्या आज के वैश्वीकरण के दौर में भी लोग सुरक्षित रहेंगे. इसलिए, दुनिया को आज मानवता के दर्शन की पेशकश करते हुए मानवतावादी विचारक महात्मा ज्योतिबा फूले के सत्य-खोज विचारों की आवश्यकता है. परिवर्तन के साथ-साथ भविष्य में होने वाली क्रांति ओबीसी के जीवन में एक क्रांतिकारी बदलाव है और यह एक सच्चाई की तलाश वाली क्रांति होगी. ओबीसी श्रेणी के सामने आने वाली चुनौतियों और समाधानों पर विचार प्रा. सुदाम चिंचोले सत्यशोधकीय विचारवंत भारतीय पिछडा सोशीत समाज औरंगाबाद ने व्यक्त किए. उन्होंने आगे यह भी कहा कि सरकार को केंद्र में ओबीसी की सीटों और जाति व्यवस्था के आधार पर आरक्षण, पूंजीवाद की नई संस्कृति और विभिन्न संगठनों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए. 

इस समय अध्यक्षीय संबोधन ज्ञानेश्वर गोरे ने किया तो बिज भाषण बीपीएसएस के केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य विलास काले ने किया. मंच पर सुनिता काले, दिलीप बेलसरे, अरुण मेहेत्रे, अशोक तिखे, मायाताई गोरे, विनोद इंगले, संतोष झेंडे, कमल खंडारे, डा. संजय ढाकुलकर, दीपक वाघ ,आनंद गायकवाड आदि उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन कल्पना मादेशवार ने तो आभार नीता दरणे ने माना.

सात अंतरजातीय जोड़ों का सार्वजनिक सत्कार

महात्मा ज्योतिबा फुले और डा. बाबासाहब आंबेडकर के सामाजिक जिम्मेदारी के संघर्ष में भाग लेने वाले और सत्यशोधकी क्रांति करनेवाले यवतमाल जिले के सात अंतर-जातीय जोड़ों को भी सम्मानित किया गया. संदीप ठाकरे, सोनाली तोडासे, गौरव डंभारे, शीतल वाडाई, पवन मांढरे, वैष्णवी आगरकर, मोहन सेलोडकर, स्नेहा उइके, प्रतीक गेडम, दुर्गा राजपूत, मयूरी नागटोड, अमित सराटे, सुभाष मडावी, प्रीति कासार का शाल, श्रीफल व सम्मानचिन्ह देकर सम्मानित किया गया.