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  • NPS योजना के लिए सहमति फार्म भरने अधिकारियों पर दबाव

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यवतमाल. पुरानी पेंशन योजना तो चली गई, किंतु नई पेंशन योजना लागू करने का दबाव बनाया जा रहा है. एनपीएस योजना के लिए सहमति फॉर्म भरने अधिकारियों पर पुणे की ओर से दबाव बढ़ रहा है. किंतु कर्मचारी हम सहमति फॉर्म क्यों भरें? जबकि यह योजना हमारा काम की नहीं होने की भूमिका पर अड़े हैं. इस कश्मकश में पुरानी पेंशन से जिला परिषद में नया तनाव बढ़ गया है.

प्रत्येक कर्मचारी को सहमति फार्म भरना अनिवार्य 

पुरानी पेंशन योजना उन कर्मचारियों पर लागू नहीं होती जो 2005 के बाद सेवा में शामिल हुए हैं. नतीजतन इन कर्मचारियों को अपने पेंशन लाभ से हाथ धोना पड़ा है. इस बीच सरकार ने उनके लिए एक नई अंशदायी पेंशन योजना (डीसीपीएस) लागू की, किंतु कर्मचारियों का कहना हैं कि उन्हें इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा है. विशेष रूप से अब डीसीपीएस योजना खातों को राष्ट्रीय सेवानिवृत्ति योजना (एनपीएस) में वर्गीकृत करने के आदेश हैं. प्रत्येक कर्मचारी के लिए एक सहमति फॉर्म (सीएसआरएफ फॉर्म) भरना अनिवार्य है. इस फॉर्म को भरने की समय सीमा भी समाप्त हो रही है. लेकिन, कर्मचारी कुछ भी सहमति देने को तैयार नहीं हैं.  खासकर महाराष्ट्र राज्य पुरानी पेंशन अधिकार संगठन के पदाधिकारियों ने इसके लिए अलग से आंदोलन शुरू कर दिया है.

सिरदर्द बनी योजना

इस संस्था ने खुद का एक एप्लीकेशन बनाया है. पहले हमें एनपीएस के फायदे और नुकसान के बारे में बताएं की इस योजना से अब तक कितने लोगों को फायदा हुआ है, यह स्पष्ट करें तब हम सहमति फॉर्म भरेंगे. हैरानी की बात यह है कि इस आवेदन पर किसी भी पंचायत समिति ने कोई जवाब नहीं दिया है. उल्टे संघ का आरोप है कि सहमति फार्म नहीं भरा गया तो वेतन में देरी होगी. पुरानी पेंशन योजना, नई अंशदायी पेंशन योजना और अब एनपीएस योजना के लिए खाता खोलने की प्रक्रिया जिला परिषद प्रशासन के लिए नया सिरदर्द बनती जा रही है, जबकि 2005 के बाद के कर्मचारियों के लिए पुराने के लिए लड़ाई है.

खाता खोलने विभिन्न विभागों के अलग-अलग आदेश

एनपीएस खाते खोलने के लिए विभिन्न विभागों की ओर से अलग-अलग आदेश जारी किए गए हैं. इसके बाद ही उस विभाग के कर्मचारियों से सहमतिपत्र मांगा गया था. स्कूल शिक्षा विभाग ने अभी तक ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया है. पुराने पेंशन अधिकार संगठन का आरोप है कि वित्त विभाग के जीआर और नाम विकास के आधार पर ही शिक्षा विभाग के अधिकारी शिक्षकों पर सहमति के लिए दबाव बना रहे हैं. शुक्रवार को शिक्षा अधिकारी को लिखित पत्र देकर पहले शिक्षा विभाग का जीआर दिखाने की भी मांग की गई.