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    यवतमाल. मौसम विभाग की ओर से जिले को संभावित अधिक बारिश के चलते सतर्कता की चेतावनी दी थी. जिसके तहत देर रात से बुधवार की सुबह तक कभी तेज तो कभी रिमझिम वर्षा जारी थी. दिनभर में मध्यम स्वरूप की रिमझिम झड़ी की वर्षा जारी रही. जिससे बुधवार को लोग घर के बाहर भी नहीं निकले.

    बारिश जनजवीन अस्त-व्यस्त रहा. बारिश जिले के अधिकांश हिस्सों में होने की जानकारी है. खेती के लिए उपयुक्त ऐसी झडी की वर्षा शहर समेत जिले में जारी थी. इस बारिश ने खरीफ की सोयाबीन, कपास, तुअर व अन्य फसलों को नवसंजीवनी प्रदान की है. जिले में जलापूर्ति बांध पूरी तरह से भरे नहीं है. जिससे अच्छी बारिश की उम्मीद है. शहर में दिनभर रिमझिम बौछार जारी थी. 

    जलाशयों में अब तक 50 फीसदी जलसंग्रह

    जिले में बारिश का करीब डेढ़ माह बीत गया है. इस वर्ष खरीफ मौसम की शुरुआत से जिले में मेघ मेहरबान रहने से बुआई के काम समय रहते पूरे हुए. बीते सप्ताह बारिश होने से किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई, जिले के जलाशय पूरी क्षमता से भरने के लिए अभी और बारिश का इंतजार करना पड़ेगा. जिले के प्रमुख बांधों में फिलहाल औसतन 50 फीसदी ही जलसंग्रह हुआ है. अगस्त व सितंबर में पर्याप्त बारिश नहीं होने से जिले में जलसंकट गहराने की आशंका है.

    जून-सितंबर बारिश का समय रहता है. जिले के किसानों समेत सभी के लिए पानी की जरूरत पूरी करनेवाले होते हैं. जिला प्रशासन समेत सिंचाई विभाग, राजस्व विभाग का प्राकृतिक आपदा विभाग बारिश और जलाशय की स्थिति पर पल-पल नजर बनाए रखते हैं. जिले के प्रमुख 10 बांधों के जलस्तर पर नजर डालने पर फिलहाल स्थिति सामान्य नजर आ रही है, किंतु भविष्य की दृष्टि से इसमें सुधार होना जरूरी है. 

    पुस बांध में फिलहाल 55.97 फीसदी जलसंग्रह हुआ है. अरूणावती में 46.51 फीसदी, बेंबला 65.68 फीसदी तक भरा है. पुसद, अरूणावती और बेंबला जिले की 3 प्रमुख और महत्वाकांक्षी परियोजनाएं हैं. इन बांधों के जलस्तर की स्थिति जिले के लिए काफी महत्वपूर्ण होती है. मध्यम और लघु परियोजना में गोकी बांध में 34.11 फीसदी, वाघाडी में 65.58 फीसदी, सायखेड़ा में 74.39 फीसदी. अधरपुस में 39.90 फीसदी, बोरगांव में 40.70, अडाण में 49.17 और बोरगांव बांध में केवल 33.89 फीसदी जलसंग्रह है. 

    अलावा जिले के अन्य 104 छोटे बांधों की स्थिति इससे भी चिंताजनक है. जिले में मौसम मेहरबान रहने से खरीफ फसल की शुरुआत जोरदार रही. जून के पहले सप्ताह में मानसून पूर्व व बाद में मानसून मेहरबान होने से किसानों की दृष्टि से यह मौसम काफी अच्छा साबित हुआ.

    जून के अंत में कुछ दिन के लिए बारिश नदारद रही, किंतु बीते 2 सप्ताह में मानसून की सक्रियता से मायूसी भी अब दर हो गई है. 1 महीने पूर्व इन जलाशयों में सिर्फ 30 फीसदी पानी बचा था. उसमें काफी सुधार हुआ है, किंतु यह स्थिति 50 फीसदी के आसपास ठहर जाना खतरे की घंटी साबित हो सकती है. जिले में पर्याप्त बारिश की आज भी प्रतीक्षा है.