Ujwala Yojna

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    यवतमाल. ‘स्वच्छ इंधन बेहतर जीवन’ यह नारा लेकर प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना को देशभर में लागू किया गया. गरीबी रेखा के निचे जीवनयापन कर रही जनता पर केंद्रीत योजना के माध्यम से जिले में हजारों नि:शुल्क एलपीजी कनेक्शन वितरित किए गए, लेकिन अब यह योजना विफल साबित होती दिखाई दे रही है़ योजना के तहत अब लाभार्थी गैस सिलेंडर ही खरीद नहीं पा रहे है़ मूल्य नियंत्रित रखने में सरकार को आयी नाकामी के कारण योजना ने जनहित का उद्देश्य खो दिया है. प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना पूरे देश में 1 मई 2016 से कार्यान्वित की गई़ इसके तहत हजारों लाभार्थियों को नि:शुल्क एलपीजी कनेक्शन वितरित किए गए़ उक्त सभी लाभार्थी ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्र के गरीबी रेखा के निचे जीवन यापन करने वाले है़ इससे उन्हें गैस सिलेंडर खरीदी करने सब्सिडी की काफी जरूरत है.

    सिलेंडर पर सब्सिडी नहीं के बराबर

    वहीं कोरोना लाकडाउन के बाद गैस सिलेंडर के मूल्य नियंत्रित रखने में सरकार को विफलता आयी है़  जो गैस सिलेंडर कभी 560 से 600 रुपए में मिलता था, उसका मूल्य अब 850 रुपए प्रति सिलेंडर तक बढ़ गया है़  इतना ही नहीं तो पहले 100 से 150 रुपए सब्सिडी भी खाताधारकों के बैंक खाते में जमा होती थी‍. वह सब्सिडी भी अब नहीं के बराबर हो गई है़  इसका परिणाम यह हुआ कि अब सिलेंडर खरीदी पर उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों ने पूरी तरह से मुंह फेर लिया है.   

    रसोई में फिर से जलने लगे चूल्हे

    घरेलू इंधन के लिए प्रति वर्ष हजारों पेड़ों की कटाई की जाती है़  साथ ही ग्रामीण विभाग में पारंपारिक पद्धति से चूल्हे पर भोजन पकाते समय धुएं से आंख तथा शरीर पर विपरीत परिणाम पड़ता है़  इसे रोकने के लिए तथा महिलाओं के स्वास्थ्य को प्राथमिकता व महिला सक्षमीकरण यह प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का उद्देश्य है़  कुछ समय के लिए यह उद्देश्य पूर्ण होने की उम्मीद की जाने लगी थी. मगर अब गैस सिलेंडर के दाम बढ़ने से फिर से रसोई में चूल्हे जलते दिखाई दे रहे है.