यवतमाल. 5 अगस्त को अयोध्या में प्रभु श्रीराम के भव्यदिव्य मंदीर निर्माण के लिए पायाभरणी हो रही है. इसके लिए यवतमाल के रावेरी स्थित सीता माता मंदिर से पवित्र मृत्तिका और पडौस के तमसा अर्थात रामगंगा नदी में से जल भेजा गया है. विधिवत पूजा अर्चा कर रावेरी ग्रामवासीयों ने जल एवं मिट्टी राममंदिर के लिए भेजते हुए खुशी व्यक्त की. सीता का देश में एकमात्र मंदीर ‘रावेरी’ गाव में है. इस मंदिर में प्रभू राम नही, लेकिन सीता है. प्रभूरामचंद्र ने सीतामाई का त्याग करने के बाद लवकुश का जन्म होकर अश्वमेघ यज्ञ का घोडा रोकने तक इसी रावेरी गाव में सीता का वास्तव्य था ऐसी मान्यता है. रामगंगा नदी के तट पर एकमात्र वनवासी सीता का हेमाडपंथी मंदीर है. बाजु में वाल्मिक ऋषी का आश्रम है. मंदिर में सीता माई की काले पाषाण की मूर्ती है.
रावेरी के सीतामाई के मंदिर की काफी दुरावस्था हुई थी. जर्जर हुए इस मंदिर को किसान संगठन के प्रणेता शरद जोशीं ने 2 मई 1982 को भेट देकर संपूर्ण इतिहास की जानकारी ली. 2001 को उन्होने किसान महिला आघाडी का अधिवेशन रावेरी में लेकर अधिवेशन में दुनिया का एकमात्र सीता मंदीर का जिर्णोद्धार करने का संकल्प लिया. किसान संगठन, किसान महिला आघाडी ओर शरद जोशी ने स्वयं कमाई से 10 लाख रू. खर्च कर मंदीर का जिर्णोद्धार कर 2 अक्तुबर 2011 को लोकार्पण समारोह लिया.
इस सीता मंदिर का जीर्णोद्धार होने के बाद ही रामजन्मभूमी अयोध्या में भी भव्य राममंदीर निर्माण होने की मंशा पुर्ण होने की खुशी ग्रामवासीयों ने व्यक्त की. इस समय संस्था के सचिव वामनराव तेलंगे, मोहन गुंदेचा, अंकुश रामगडे, भुप्रेंद कारीया, मेधेशाम चांदे, एड. प्रफुल्ल चौहान, एड. प्रितेश वर्मा, चंद्रशेखर टेंभेकर, रुस्तम शेख, प्रभाकर आष्टेकर, राजेंद्र तेलंगे, (सरपंच), नामदेव काकड़े, बंडूजी निखाडे, बबन धोटे, सदानंद काकडे, उदधव चौधरी, विजय पाल, मोहन खारकर, पुरुषोतम काकडे, विकास वाघमारे, जयानंद टेभेंकर, मोरेश्वर डाखोरे उपस्थित थे.