उमरखेड़. सरकार की संवैधानिक विरोध नीतियों के खिलाफ तहसील में विभिन्न सरकारी और अर्द्धसरकारी कामगार संगठनों ने मिलकर तहसील कार्यालय के सामने आज, गुरुवार को एक दिवसीय धरना आंदोलन किया.
किसान विरोधी कानून वापस हो
इस धरने में तीन किसान विरोधी कानूनों को वापस लिया जाना चाहिए, स्वामीनाथम आयोग के फार्मूले के अनुसार कृषि उपज को न्यूनतम मूल्य देने के लिए कानूनी निर्णय लिया जाना चाहिए, श्रम विरोधी श्रम बिल को तुरंत वापस लें. पिछले सभी श्रम कानूनों को बहाल करने, रेलवे, बीपीसीएल, बंदरगाहों, कोयला और रक्षा क्षेत्रों, हवाई अड्डों, बैंकों, बीमा कंपनियों का निजीकरण को रोके.
नई पेंशन योजनाओं को समाप्त करें, गुणवत्तापूर्ण सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली को लागू करें, अनुबंध के कर्मचारियों को नियमित आधार पर बनाए रखें, समान काम के लिए समान वेतन का भुगतान करें, रोजगार की गारंटी का विस्तार कर साल में कम से कम 200 दिन काम व 600 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से देने, राशन प्रणाली को मजबूत करने, सभी असंगठित श्रमिकों के लिए पंजीकरण और स्वास्थ्य बीमा और 3 हजार मासिक पेंशन शुरू करें आदि विविध मांगों को लेकर आज तहसील के विविध कामगार संगठन व किसान संगठन कृति समिति की ओर से तहसील कार्यालय के सामने धरना आंदोलन किया गया. इसके पश्चात तहसीलदार को विविध मांगों का ज्ञापन सौंपा गया.
इस आंदोलन में महाराष्ट्र राज्य सभी श्रमिक महासंघ के सचिव कॉ. वीएम पतंगराव, उपाध्यक्ष कॉ. पीके मुडे, स्वाभिमानी के जिलाध्यक्ष अनिल माने, देवानंद मोरे, बालाजी वानखेड़े, बलवंतराव चव्हाण, डा. गणेश घोड़ेकर, संतोष जाधव, बालकृष्ण देवसरकर, सूर्यकांत पंडित, तातेराव चव्हाण, सुरेश मोरे, एसटी कामगार संगठन के विनोद शिंदे, चिमन नरवाड़े, सूर्यकांत थोरात, राजेश बोंडगे, शेर अली, सुभाष राठोड़, माधव कनवाले, माणिक तामसकर आदि उपस्थित थे.