File Photo
File Photo

  • टेस्ट किट, स्वैब टेस्ट सामग्री व दवाइयों की सप्लाई हुई बाधित

Loading

यवतमाल. यवतमाल जिले में फरवरी से कोरोना संक्रमण ने फिर से सिर उठा लेने के बाद कोरोना की यह दूसरी लहर मानी जा रही है. कोरोना बाधित मरीजों की भरमार होने के कारण अब कहर बनकर टूटती दिख रही है, वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिला प्रशासन को केंद्र और राज्य सरकार की ओर से जरूरी दवाइयों, सामग्री की सप्लाई बाधित हो चुकी है, जिससे कोरोना रोकथाम स्वास्थ्य यंत्रणा पूरी तरह नकारा साबित हो रही है.

अधिकृत सूत्रों से ली गई जानकारी के मुताबिक कोरोना की रोकथाम के लिए इसके जांच प्रक्रिया के लिए केंद्र से राज्य और मुंबई से यवतमाल जिले तक आनेवाली टेस्ट किट, रैपीड एंटीजन टेस्ट किट, स्वैब किट, इसके बाद स्वैब जांच के लिए लगनेवाली सामग्री के खेप की आपूर्ति बुरी तरह बाधित हो चुकी है, केंद्र से राज्यस्तर पर स्वैब टेस्टिंग प्रक्रिया पूरी करने के लिए सामग्री नहीं पहुंच पा रही है. इसके चलते जांच प्रक्रिया निपटाने और रिपोर्ट देने में देरी हो रही है, ऐसी जानकारी विश्वसनीय सूत्रों ने दी है. इसी बीच इन दिनों जिला अस्पताल के आइसोलेशन में बिते कुछ दिनों सें कोरोना बाधितों की भरमार हो चुकी है, उन्हें रखने के लिए बेड की भारी कमी हो चुकी है. कुल मिलाकर इस परिस्थिति के कारण अब यवतमाल जिला राज्य में कोरोना का हॉटस्पॉट बनता दिख रहा है.

हर दिन बढ़ रहे मरीज

कुल मिलाकर हर दिन बढ़ रही मरीज संख्या और मृत्यु के आंकड़ों को देखते हुए कोरोना की  लहर यवतमाल शहर और जिले में अब कहर बन रही हैं. बताया जाता है कि मरीजों के आंकड़े में हर दिन इजाफा होने से प्रशासन में अंदरुनी तौरपर हड़कम्प और गंभीरता छायी हुई है. कोरोना प्रभावितों को संभाल रहे डाक्टरों में फिलहाल चिंताजनक स्थिति है. जिससे हालत पुरी तरह गंभीर मानी जा रही हैं. जिससे विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना संक्रमण की श्रृंखला तोड़ने और निर्माण हो रही चिंताजनक परिस्थिति पर मात करने के लिए 5 या इससे अधिक दिनों का कड़ा लॉकडाउन लगाने की आवश्यकता है.

50 बेडवाले क्वारंटाइन सेंटर में 96 संक्रमित

विश्वसनीय सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक यवतमाल जिला सरकारी अस्पताल के 3 कोरोना आइसोलेशन सेंटर में कोरोना प्रभावितों को रखने के लिए जगह नहीं बची है. पंजाराबव देशमुख कृषि संशोधन केंद्र, सुपर स्पेशालिटी अस्पताल की नई ईमारत और सबसे पहले बने जिला अस्पताल के पुरानी बिल्डिंग के आइसोलेशन वार्ड में प्रति स्थान पर सीमित संख्या में कोरोना बाधितों को रखने की क्षमता है, 50 बेड की सुविधावाले सुपर स्पेशालिटी के आइसोलेशन में खबर लिखने तक 96 मरीजों को रखा गया था. तीनों जगहों पर बेड से बेड सटाकर मरीजों को रखा जा रहा है. जिससे बाधितों को रखने के लिए जगह ही बची नहीं है. डीएचओ और सीएस स्तर पर कोरोना बाधितों के इलाज और सुविधा का सारा भार जिला वैद्यकीय कॉलेज और सरकारी अस्पताल पर डाल दिया गया है. जिससे अधिष्ठाता, डाक्टर, अधिकारी के प्रशासन के कंधे पर ही अधिकांश बोझ डालकर अन्य अफसर जिम्मेदारी पूरी करने से जी चुरा रहे हैं.

देरी से मिल रही जांच रिपोर्ट

जानकारों के मुताबिक संदिग्ध बाधित के स्वैब टेस्ट के बाद जांच प्रक्रिया और इसकी रिपोर्ट देने में देरी की जा रही है. इससे पूर्व कोरोना संक्रमण बुरी तरह बढ़ने से मरीज गंभीर स्थिति में आ रहे हैं. जिले में लगभग 50 कोरोना  टेस्टिंग सेंटर है, जहां पर स्वैब टेस्ट किए जा रहे है, लेकिन इसकी जांच प्रक्रिया के लिए आवश्यक सामग्री को केंद्र से राज्य और मुंबई से यवतमाल जिले और तहसीलों तक पहुंचने में देरी हो रही है. 

जिलाधिकारी ने कमिश्नर को दी जानकारी 

उल्लेखनीय है की कोरोना महामारी के संक्रमण के दौरान लॉकडाउन के पालन और प्रतिबंधात्मक उपायों पर अमल के लिए जिलाधिकारी ने निर्देश दिए है, किंतु इस हालत में उचित कारवाई और काम नहीं करनेवाले जिला प्रशासनिक विभाग के वरिष्ठ अफसरों के खिलाफ जिलाधिकारी एम.डी.सिंह ने आयुक्त को पत्र भेजकर शिकायत की है. जिलाधिकारी ने 21 मार्च को डिविजनल कमिश्नर को भेजे गए पत्र में जिला स्वास्थ्य अधिकारी, जिला पुलिस अधीक्षक, जिला अस्पताल के तथा जिला सिविल सर्जन के खिलाफ शिकायत की है, इसमें लॉकडाउन और कोरोना के लिए किए जा रहे उपायों के तहत कारवाई न करें, बैठक और प्रशासनिक स्तर पर जानकारी नहीं देने, टेस्टिंग की रिपोर्ट में देरी समेत विभिन्न मुद्दों को लेकर शिकायत दर्ज की गई है, जिससे अब इन अधिकारियों पर वरिष्ठ स्तर पर क्या कार्रवाई होती है इस ओर सभीका ध्यान टिका है.

प्रशासन को सहयोग करें

कोरोना का संक्रमन बढ़ चुका है. जिससे जनता भी सतर्कता बरतें. प्रतिबंधात्मक और प्रशासनिक नियमों का पालन करें. सरकारी अस्पताल में बाधितों की संख्या बढने से फिलहाल भर चुके हैं. नागरिक कोरोना से बचाव के लिए सुरक्षित तौर पर घर पर ही रहें. इस स्थिति में कड़े लॉकडाउन की तरह नागरिकों ने भी सतर्कता बरतकर प्रशासन को सहयोग करना जरूरी है.

-डा.मिलींद कांबले, अधिष्ठाता, वसंतराव नाईक जिला वैद्यकीय मवि अस्पताल.