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Published: Apr 26, 2021 10:36 PM IST

MSME 2 लाख MSME के बंद होने का खतरा, 40 लाख मजदूरों का पलायन, 20,000 करोड़ के कारोबार का नुकसान!

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

मुंबई. चाइनीज वायरस कोविड-19 (Covid-19) के तेजी से फैलते संक्रमण को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन-2 (Lockdown-2) से राज्य के उद्योग-व्यापार क्षेत्र (Trade & Industry) की हालत पतली होती जा रही है। सबसे ज्यादा असर सूक्ष्म, लघु एवं मझौले उद्योगों (MSME) पर पड़ रहा है। इन पर दोहरी मार पड़ रही है। 

एक तरफ बढ़ते घाटे के कारण पूंजी संकट तो दूसरी तरफ प्रवासी मजदूरों (Migrant Workers) के पलायन से कामगारों की कमी। यदि लॉकडाउन लंबा खिंचा और सरकारी मदद नहीं मिली तो महाराष्ट्र में कुल 21.50 लाख कंपनियों में से 2 लाख एमएसएमई जून तक स्थायी रूप से बंद हो सकती हैं। जिससे करीब 25 लाख लोगों के रोजगार (Employment) प्रभावित होंगे।

ना केंद्र से, ना राज्य सरकार से मदद

एमएसएमई सेक्टर की शीर्ष संस्था एसएमई चैम्बर ऑफ इंडिया (SME Chamber of India) के सर्वेक्षण के मुताबिक, सख्त प्रतिबंधों और अब पूर्ण लॉकडाउन से छोटे उद्योग भारी वित्तीय संकट में आ रहे हैं। विभिन्न उद्योगों की अनेक एमएसएमई इकाईयां लॉकडाउन-1 के भारी घाटे से अभी तक पूरी तरह उबर भी नहीं पाई थी कि अब लॉकडाउन-2 लगा दिया गया है। प्रवासी मजदूरों के फिर से हो रहे पलायन ने हालात और विकट बना दिए हैं। ना केंद्र से कोई मदद मिल रही है और ना राज्य सरकार से। केंद्र ने संकटग्रस्त एमएसएमई को सिर्फ लोन (Bank Loan) दिया है, पर कोई मौद्रिक राहत (Monetary Relief) नहीं।

मजदूरों के पलायन से हालात और बिगड़े

संस्था के मुताबिक, राज्य की कुल 21।50 लाख कंपनियों में से 6.50 लाख मैन्युफैक्चरिंग (Manufacturing) कंपनियां है। कुल कंपनियों में से 50% यानी करीब 11 लाख मुंबई महानगर क्षेत्र (MMR) में ही हैं। राज्य के उद्योग क्षेत्र में कुल 2.50 करोड़ लोगों को रोजगार मिला हुआ है। इसमें से करीब 50% यानी 1.25 करोड़ तो प्रवासी मजदूर हैं। कोरोना की दूसरी लहर में हालात ज्यादा बिगड़ते देख इन मजदूरों में दहशत का माहौल पैदा हो गया है। इस वजह से पिछले एक महीने में राज्य से 40 लाख से अधिक मजदूर पलायन कर चुके हैं।

बिना मजदूरों के कैसे चलेंगे उद्योग?

SME चैम्बर ऑफ इंडिया के अध्यक्ष चंद्रकांत सालुंखे ने कहा कि जिस तरह पिछले साल अप्रैल-मई में प्रवासी मजदूरों ने घबराहट में पलायन किया था, वहीं स्थिति दुबारा बन गयी है। पिछले साल की घटना से राज्य सरकार ने कोई सबक नहीं लिया। लॉकडाउन-2 लगा दिया, लेकिन मजदूरों की रोजी-रोटी के लिए कोई ठोस कार्ययोजना नहीं। वैसे इस सरकार से उम्मीद भी क्या करें, जो 6 लाख करोड़ रुपए के कर्ज के बोझ तले दबी हुई है। जिसने छोटे उद्योगों-व्यापारियों को कुछ राहत नहीं दी, वह मजदूरों को क्या देगी? लेकिन बिना मजदूरों के तो उद्योग नहीं चल सकते हैं, यह बात सरकार को समझनी चाहिए।

महाराष्ट्र से GST संग्रह 60% घटने की आशंका

एसएमई चैम्बर का अनुमान है कि लॉकडाउन-2 के कारण अप्रैल के दौरान राज्य में करीब 20,000 करोड़ रुपए के कारोबार का नुकसान होने की आशंका है और यदि लॉकडाउन-2 मई में भी जारी रहा तो नुकसान और बढ़ेगा। जिसका सबसे ज्यादा विपरीत असर एमएसएमई सेक्टर पर पड़ेगा। घाटे में चल रही करीब दो लाख व्यावसायिक फर्मों के समक्ष बंदी का खतरा मंडराने लगा है। अप्रैल में कारोबार ठप होने से महाराष्ट्र के जीएसटी (GST) संग्रह में करीब 60% घटकर 15,000 करोड़ रुपए ही रह सकता है, जबकि महाराष्ट्र हर माह देश के कुल जीएसटी राजस्व में 35,000 करोड़ रुपए से अधिक का योगदान देता है।