कॉरपोरेट जगत

Published: Nov 05, 2020 11:19 AM IST

आईपीओकोविड संकट का फायदा उठाने आई चाइनीज कंपनी

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

मुंबई. चाइनीज वायरस कोविड-19 से उत्पन्न संकट का फायदा उठाने के लिए अब एक चाइनीज फार्मा कंपनी ही भारतीय पूंजी बाजार में आ रही है. चाइना की फार्मा कंपनी फोसुन फार्मा (Fosun Pharma) की भारतीय सब्सिडरी ग्लैंड फार्मा लिमिटेड (Gland Pharma Ltd.) 6,500 करोड़ रुपए का मेगा आईपीओ (IPO) ला रही है. यह भारतीय पूंजी बाजार के इतिहास में किसी चाइनीज कंपनी का पहला आईपीओ है और किसी फार्मा कंपनी का सबसे बड़ा और सबसे महंगा निर्गम भी है. 

भारत में चाइनीज कंपनी के आईपीओ की मंजूरी से आम निवेशक हैरान हैं. हैरानी इसलिए कि वर्तमान में भारत-चीन के बीच तनाव चरम सीमा पर है. चाइना से उत्पन्न कोरोना वायरस की महामारी के कारण पहले ही भारतीयों और दुनिया भर में चीन के प्रकि जन आक्रोश था. इसके बाद भारतीय जवानों पर हमले से चीन के प्रति आक्रोश और बढ़ गया है. ऐसे वक्त भारत में चाइनीज कंपनी का आईपीओ आता है तो हैरानी होना स्वाभाविक है.

एक मर्चेंट बैंकर भी चाइनीज

निवेशकों को हैरानी इस बात की है कि नियामक संस्था ‘सेबी’ ने इस चाइनीज कंपनी के आईपीओ को ऐसे आक्रोशित माहौल में भी मंजूरी कैसे दे दी और 4 मर्चेंट बैंकर भी चाइनीज कंपनी की लूट योजना में अपने फायदे के लिए साथ देने तैयार हो गए हैं. इनमें से एक मर्चेंट बैंकर हैटोंग सिक्युरिटीज (Haitong Securities ) तो चीन की ही स्टॉक ब्रोकिंग कंपनी है. अन्य 3 मर्चेंट बैंकरों में कोटक महिंद्रा कैपिटल (Kotak Mahindra Capital), सिटीग्रुप ग्लोबल (Citigroup Global) और नोमूरा फाइनेंशियल (Nomura Financial) हैं. जाहिर है इन्हें अच्छी खासी रकम इस आईपीओ का प्रबंधन करने के लिए मिल रही है. तभी ये मौजूदा विपरीत माहौल में भी चाइनीज कंपनी का साथ दे रहे हैं, जो भारतीय निवेशकों को लूटने के लिए 1500 रुपए के ऊंचे मूल्य पर इतना महंगा आईपीओ ला रही है.

लालची मर्चेंट बैंकरों को है ‘गर्व’

एक और आश्चर्य की बात यह कि मर्चेंट बैंकर इस चाइनीज कंपनी के आईपीओ का प्रबंधन करना अपनी शान बता रहे हैं. उन्हें इस बात का कोई अफसोस नहीं है कि वे चंद रूपयों के लिए अप्रत्यक्ष रूप से उस चीन का साथ दे रहे हैं, जो भारत और भारतीय सैनिकों को कोई ही नुकसान पहुंचा रहा है. तभी तो बुधवार को ग्लैंड फार्मा के आईपीओ की घोषणा करते समय इसके मर्चेंट बैंकर कोटक महिंद्रा कैपिटल के अधिकारी जयशंकर ने कहा कि हमें प्राउड (गर्व) है कि हम सबसे बड़ा फार्मा आईपीओ हैंडल कर रहे हैं. यानी देश और निवेशक हित कुछ नहीं. शायद ‘गर्व’ इसलिए कि बड़े आईपीओ के लिए फीस भी बड़ी मिलेगी. क्योंकि मर्चेंट बैंकर जिस प्रमोटर को जितने ज्यादा ऊंचे मूल्य पर उसके शेयर बिकवाते हैं, उन्हें प्रमोटर से उतनी ही ज्यादा मोटी रकम मिलती है. भले ही बाद में निवेशक नुकसान में रहे, उनकी कोई जवाबदारी नहीं. उन्हें तो केवल अपने फायदे से वास्ता रहता है. इन लालची मर्चेंट बैंकरों के ट्रैक रिकार्ड की बात करें तो पिछले 3 वर्षों में इन्होंने 15 कंपनियों के आईपीओ हैंडल किए, जिनमें से 5 आईपीओ में तो लिस्टिंग के दिन ही निवशकों को नुकसान उठाना पड़ा. इस नुकसान के लिए जिम्मेदार कौन?     

तब फार्मा शेयरों में फिर आ जाएगी मंदी

वैसे तो ग्लैंड फार्मा हैदराबाद स्थित भारतीय कंपनी है, लेकिन 2017 में चीन की कंपनी फोसुन फार्मा ने इसका अधिग्रहण कर लिया था. तब से यह पूरी तरह चाइनीज कंपनी बन गई है. यह अपना 20 प्रतिशत रॉ मैटेरियल चीन से ही मंगा रही है. यानी चीन से आयात कर भारत सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान की हवा निकाल रही है. फोसुन फार्मा ने तीन साल पहले ग्लैंड फार्मा में 74 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी थी और मात्र तीन साल में ही उसमें से कुछ हिस्सेदारी (19,368,686 शेयर) दोगुने-तिगुने मूल्य पर बेचने निकल पड़ी है. दरअसल यह वर्तमान में कोविड संकट के कारण फार्मा शेयरों में आ रही तेजी का फायदा उठाना चाहती है. चूंकि इस समय फार्मा कंपनियों का कारोबार चमक रहा है. लेकिन जैसे ही कोविड संकट दूर हो जाएगा, फार्मा शेयरों में फिर से मंदी आने लगेगी. जैसी मंदी पिछले तीन-चार वर्षों में रही थी. तब 15,000 रुपए के इतने ऊंचे मूल्य (यदि 10 रुपए फैस वैल्यू के आधार पर गणना की जाए तो) शेयर बिकना काफी मुश्किल होगा. इसलिए मौके का फायदा उठाते हुए फोसुन फार्मा ने 9 नवंबर 2020 को ही ग्लैंड फार्मा लिमिटेड का आईपीओ लाने का एलान कर दिया है.

निवेशकों को सतर्क रहने की जरूरत 

भारत-चीन तनाव और अमेरिका-चीन ट्रेड वार को देखते हुए इस चाइनीज कंपनी के महंगे आईपीओ में निवेशकों को सतर्क रहने की जरूरत है. क्योंकि शेयर बाजार में हमेशा तेजी नहीं रहती है. और जब सस्ते दाम पर अच्छी भारतीय कंपनियों के शेयर उपलब्ध हैं तो फिर चाइनीज कंपनी का शेयर महंगे भाव पर लेने में तो कई तरह के जोखिम दिख रहे हैं.